नेता जी को क्या पैसों के लिए मुख्य अतिथि बनाया जाता है....
देर रात तक सत्यानंद जी ने किया जन संपर्क.....
सूत्रों की माने तो मंगलवार की देर रात तक राठिया जी जिस तरह तमनार में जनसंपर्क कर रहे थे उससे एक बात तो तय है कि इस बार राठिया जी को अपनी उम्मीदवारी के लिए जी तोड़ मेहनत करना ही पड़ेगा अन्यथा पार्टी जिसे उम्मीदवार बनाती है उसे जिताना ही पड़ेगा।
लैलूंगा विधानसभा के लिए सत्यानंद राठिया या सुनीति सत्यानंद राठिया किसी परिचय के मोहताज नहीं क्योंकि पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री के पद पर आसीन थे व पिछले चार पंचवर्षीय से भाजपा लैलूंगा विधानसभा से इन्ही राठिया परिवार को अपना उम्मीदवार बना रही है और कई बार राठिया बंधु को हार का सामना भी करना पड़ा है लेकिन इस बार लोग खुलकर बोल रहे है कि इस बार अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो हमसे वोट की उम्मीद ना करें। राठिया जी का व्यवहार इतना अच्छा है कि कोई उनकी बात काट ही नही सकते लेकिन उसके बाद भी टिकट ना मिलने की मांग क्यो कर रहे है । कही ऐसा तो नही की बार बार एक ही परिवार को उम्मीदवार बनाने से यहाँ के कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस करते है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की माने तो पार्टी अगर हमेशा उन्हें ही उम्मीदवार बनाती है तब दूसरे कार्यकर्ता क्या सिर्फ झंडा पकड़ कर जिंदाबाद मुर्दाबाद करने के लिए ही है क्या?
क्या पैसों के लिए सम्मान.....?
लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के किसी भी गांव में कोई कार्यक्रम होता है तब सत्यानंद जी को ही मुख्य अतिथि बनाया जाता है इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है पैसा कुछ जानकारों की माने तो जब तक मंच पर राठिया जी रहते है तब तक उनका सम्मान ऐसे होता है मानो उनसे बड़ा कोई और नही लेकिन मंच से जब वे नीचे उतरते है तब उन्ही चापलूसों की जुबान ऐसे चलती है मानो राठिया जी से बुरा व्यक्ति कोई है ही नही। ऐसे में एक बात सामने आती है कि क्या राठिया जी को पैसों के लिए ही मुख्य अतिथि बनाया जाता है।
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