फर्जी पट्टे के सहारे जमीन बेचने की तैयारी, पटवारी की भूमिका संदिग्ध, आबंटित भूमि का जारी हो रहा बिक्री नकल
रायगढ़ - रायगढ़ जिले में जमीन के फर्जीवाड़े के कारनामे दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे है एक ताजा मामला रायगढ़ की तपोभूमि सत्यनारायण बाबाधाम कोसमनारा से जुड़ी है।
पटवारी की भूमिका संदिग्ध....
पटवारी हल्का नंबर 8 कोसमनारा में एक आबंटित भूमि को व्यक्तिगत बता कर पट्टा जारी करने का मामला संज्ञान में आया है सूत्रों की माने तो यह पूरा कारना वर्तमान पटवारी के द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि पटवारी ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति है जिसे जमीन के बारे में पूरी जानकारी रहती है और अगर इस जमीन का पट्टा जारी किया गया है और उस पट्टे में आबंटित भूमि / शासकीय नही लिखा गया गया है तो फिर खसरा नंबर 77/2 की जमीन का पट्टा जारी करने का मामला बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।
सर्व विदित है कि रायगढ़ के ग्राम कोसमनारा में सत्यनारायण बाबा जी तप कर रहे है जिसके कारण यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है जिसके कारण वहां पर जमीन की आवश्यकता हो रही थी इस कारण पूर्व में एक व्यक्ति को शासन से भूमि आबंटित की गई थी उसे सत्यनारायण बाबा जी के ट्रस्ट को दी गई और उसके बदले में शासन ने हाइवे से लगी भूमि खसरा नंबर 77/2 दी गई। नियमों पर अगर ध्यान दे तो जिस जमीन को बदले में दी गई हो उस जमीन पर पूर्व के नियम ही लागू होते है। ऐसी स्थिति में 77/2 आबंटित भूमि मानी जाएगी।
लेकिन रायगढ़ का एक ऐसा व्यक्ति जिसकी पकड़ कलेक्टर में है उसकी नजर इस जमीन पर पड़ी और उसके मन मे लालच आ गया जिसके कारण यह षड्यंत्र रचा गया और इस असंवैधानिक कार्य को अंजाम दिया गया। जिसमें पूरी गलती वर्तमान पटवारी की ही है।
बहुत जल्द बकने वाली है यह भूमि....?
सूत्रों की माने तो यह जमीन हाइवे से लगी है जिसके कारण इस जमीन का मूल्य आसमान छूने वाला है इसी कारण अपनी पकड़ के दम पर इस जमीन को एक व्यक्ति अपने नाम मे करना चाहता है उम्मीद है कि अगर समय पर शासन प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो उस जमीन को असंवैधानिक रूप से बेचने से कोई नही रोक सकता।
जमीन के लोभी के पास पट्टा बंधक.....
सूत्रों की माने तो इस जमीन को जबरजस्ती खरीदने के चक्कर मे खसरा नंबर 77/2 के पट्टे को भी बंधक बना कर रखने की जानकारी मिल रही है, अब शासन प्रशासन से एक सवाल रायगढ़ की जनता जानना चाहती है कि क्या इस तरह के फर्जीवाड़े की जानकारी होने के बाद भी ऐसे लोगों पर कोई कार्यवाही होगी या फिर अपना समय युही काटते रहेंगे और समय आने पर रायगढ़ से किसी और ठिकाने के लिए रवाना हो जाएंगे।
रायगढ़ की जनता अभी भी एक सवाल पूछ रही है कि आखिर पटवारी किसके दबाव में आकर इस जमीन का बिक्री नकल जारी करने का मन बना रखा है।
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