संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को चार माह के भीतर नियमितीकरण के आदेश, हाईकोर्ट से बड़ी राहत

जो कर्मचारी जिस पद पर पहले से ही काम कर रहे हैं, उसी पद के तहत इन्हें नियमित किया जा सकता है। कोर्ट ने एनआईटी को याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का निर्देश दिया है।
एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी
नियमित पद के विरुद्ध कार्य करते 10 साल से अधिक का समय
बिलासपुर: contract and daily wage employees regularization, एनआईटी के कर्मचारियों की नियमितिकरण की मांग को लेकर दायर याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में जस्टिस एके प्रसाद ने याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा, कि याचिकाकर्ताओं को नौकरी करते एक दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है। लिहाजा उन्हें पर्याप्त अनुभव है। जिस पद पर काम कर रहे हैं उसी पद पर उनको नियमित किया जाए।
याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल व 40 अन्य कर्मचारियों ने नियमितिकरण की मांग को लेकर हाई कोर्ट के समक्ष अपने अधिवक्ता अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के जरिए याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया, कि वे सभी एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं। नियुक्ति से पहले विधिवत विज्ञापन जारी किया गया था। लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद संस्थान ने इंटरव्यू लिया, और मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी गई थी।
याचिका के अनुसार जिस पद पर काम कर रहे हैं शैक्षणिक योग्यता के साथ ही पर्याप्त अनुभव भी रखते हैं, और सभी कर्मचारी नियमित पद के विरुद्ध कार्य करते 10 साल से अधिक का समय हो गया है। लिहाजा पर्याप्त अनुभव भी उनके पास है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध उमा देवी, स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध एमएल केसरी, विनोद कुमार व अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया, स्टेट ऑफ उड़ीसा विरुद्ध मनोज कुमार प्रधान, श्रीपाल व अन्य विरुद्ध नगर निगम गाजियाबाद आदि आदेशों का न्यायादृष्टांत प्रस्तुत किया।
वहीं एनआईटी के अधिवक्ता ने नियमितीकरण हेतु नियम नहीं होने की बात कही। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, कि याचिकाकर्ताओं को कार्य करते 10 से लेकर 16 साल तक का समय हो चुका है। जो कर्मचारी जिस पद पर पहले से ही काम कर रहे हैं, उसी पद के तहत इन्हें नियमित किया जा सकता है। कोर्ट ने एनआईटी को याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का निर्देश दिया है।
इस फैसले का मुख्य सार क्या है....?
हाईकोर्ट ने एनआईटी रायपुर के 42 संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को चार महीने के भीतर नियमित करने का आदेश दिया है, क्योंकि वे 10 से 16 वर्षों तक उसी पद पर कार्यरत हैं और पर्याप्त अनुभव रखते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने नियमितिकरण की मांग क्यों की....?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उनकी नियुक्ति लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और मेरिट के आधार पर हुई थी। वे शैक्षणिक योग्यता के साथ पर्याप्त अनुभव रखते हैं और नियमित पदों के विरुद्ध 10 साल से अधिक समय से कार्यरत हैं।
कोर्ट ने फैसले में किन कानूनी मिसालों का हवाला दिया....?
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों जैसे स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध उमा देवी, एमएल केसरी, विनोद कुमार विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया, और नगर निगम गाजियाबाद से संबंधित मामलों को न्याय दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया।
एनआईटी ने नियमितिकरण का विरोध क्यों किया....?
एनआईटी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि संस्थान में नियमितिकरण के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं, इसलिए उन्हें नियमित नहीं किया जा सकता।
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