शासकीय मद भूमि की रजिस्ट्री कैसे....

नेताओं और अधिकारियों की साठगांठ से हुआ फर्जीवाड़ा....
शासन को हुआ करोड़ो के राजस्व का नुकसान.....
रायगढ़ - जिले में जमीन के फर्जीवाड़े के मामले दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे है आए दिन देखने व सुनने को मिलता है कि जमीन की फर्जी रजिस्ट्री होती है लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है इतना सरकारी अमला अपने आप को एक्टिव दिखता है और उसके बाद भी ऐसे कारनामे होने से एक बात तो तय है कि बिना सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के जमीन की हेराफेरी कर पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन है।
ताजा मामला रायगढ़ के वार्ड क्रमांक 47 विजयपुर का देखने को मिल रहा है जंहा एक जमीन जो 1973 - 74 में शासकीय भूमि का एक हिस्सा एक व्यक्ति को आबंटित किया गया था लेकिन कुछ ही साल बाद महज 4000 रुपए में घर खर्च के लिए भाजपा नेता को यह जमीन बेच दी गई और उस रजिस्ट्री में स्पष्ट अंकित किया गया कि यह जमीन शासकीय नही है वही कुछ साल बाद भाजपा नेता के दलाल ने एक कांग्रेस नेता जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा भू माफिया है उसे कौड़ी के दाम में बेच दी अब यह जमीन कांग्रेस नेता के पास आते ही दिन दुगना रात चौगुना के हिसाब से बढ़ते ही जा रहा है। और अब यह शासकीय भूमि कई धन्ना सेठों के नाम पर चढ़ती चली गई।
पटवारी की भूमिका संदिग्ध.....!
किसी भी क्षेत्र के जमीन की जानकारी उस क्षेत्र के पटवारी के पास होती है तो भला इस क्षेत्र के पटवारी के पास इस जमीन की जानकारी कैसे नही है कि यह जमीन शासकीय मद की है और अगर जानकारी होने के बाद भी पटवारी ने चंद पैसों की लालच में आकर इस जमीन को बेचवाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किया है तो वह कही न कही कानून की नजर कूट रचना करके दस्तावेज तैयार करने का अपराधी है।
बहरहाल अब देखना यह है कि इस क्षेत्र के भूमाफियाओं पर प्रशासन नकेल कसने का काम करती है या फिर इसी तरह जमीन का बंदरबांट होते खामोशी से देखते ही रहते है।
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