मुआवजा के नाम खुद को ठगा सा महसूस कर रहे किसान इधर पावर प्लांट द्वारा भेजे पुलिस धमका रही किसानों को....

Jun 17, 2024 - 13:39
Jun 17, 2024 - 13:58
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किसानों का आरोप - बिन सर्वे किये ही हमारे जमीन पर लगाये जा रहे बिजली के टॉवर.....

 कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क...

संवाददाता :- दीपक गुप्ता....✍️

 सूरजपुर / भैयाथान :- ब्लॉक मुख्यालय भैयाथान के समीपस्थ ग्राम पासल में निर्माणाधीन हाइड्रो पावर प्लांट से विश्रामपुर तक विद्युत ले जाने हेतु किसानो के भूमि में बिजली का टॉवर लगाने का कार्य किया जा रहा है। जिसके एवज में मुआवजा देने की बात कहकर किसान के खेत में जबरदस्ती रात में टॉवर खड़ा किया जा रहा है तो वहीं कंपनी द्वारा पुलिस थाने बुलवाकर डराया भी जा रहा है। किसानो का आरोप है कि कंपनी के द्वारा किसान को मुआवजे के रूप में मामूली रकम देकर ठगा जा रहा है। अब किसान इससे असंतुष्ट होकर कलेक्टर से उचित मुआवजा राशि दिलाने की मांग करने लगे है। मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पासल हाइड्रो पावर प्लांट से विश्रामपुर विद्युत ट्रांसमिशन हेतु लगभग 33 किमी की दूरी में कंपनी द्वारा टॉवर व तार लगाने का कार्य इन दिनों किया जा रहा है।जहां कंपनी को किसानो के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसानो द्वारा मुआवजे राशि की वितरण में विसंगति का आरोप लगाते हुए राशि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कंपनी द्वारा जबरन रात में टावर लगा दिया जा रहा है तो वहीं पुलिस से प्रताड़ित कराकर जमीन देने का आरोप भी कंपनी पर लगा रहे हैं। दरअसल तार व टावर की वजह से किसानों को अपनी बेशकीमती जमीन गंवानी पड़ती है। जिस खेत से ये तार गुजरते हैं,उसकी कीमत भी कम हो जाती है क्योंकि गुजरे तार के नीचे कोई भी निर्माण कार्य नही कर सकते। खेतों के ऊपर से हाईटेंशन तार के गुजरने की वजह से किसानों की फसल भी बर्बाद होती है।तो वहीं शार्टसर्किट की वजह से फसलों में आग लगने की संभावना बनी रहती है। कई किसान क्षतिपूर्ति राशि बहुत कम होने से बढ़ाए जाने की मांग प्रशासन से कर रहे हैं तो कंपनी के इस रवैए से गांव गांव में किसानों की बैठकों की दौर शुरू हो गई है। कई किसानो के खेत व मेढ़ में लगे पेड़ भी आगामी दिनों वन विभाग द्वारा काटे जाने हैं।जिसे लेकर किसान चिंतित हैं। इस मामले से राहत व समाधान हेतु नेताओ को भी अपने गांव बुला रहे हैं। मामूली रकम मिलने से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा किसान  ग्राम मसिरा के किसान कृष्ण देव काशी ने बताया कि उनके खेत खसरा नं 2792/2 रकबा 0.33 भूमि सड़क किनारे है।जिसके बीचो बीच तार गुजरी है।जिसके नीचे घर भी नही बना सकते।आखिर घर कहां बनाएं? जमीन का मुआवजा भी सिर्फ 20000 रुपए मिला जमीन भी चला गया। हमारा तो सब कुछ खत्म हो गया। जमीन नहीं देने पर कंपनी के इशारे पर चौकी बसदेई में किसान को बुलाकर बैठाया जाता है।जमीन देने दबाव बनाया जाता है और धमकी दी जाती है कि जमीन दे दो नही तो जेल चले जाओगे। जिसके कारण किसान मानसिक तनाव भी झेलने को विवश हैं तो वही खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। यही कारण मुआवजा राशि बढ़ाए जाने की मांग कलेक्टर से की है।

तय मुआवजा राशि बताने में आनाकानी क्यो....? :- प्रभावित किसानो की माने तो जिस जमीन पर टॉवर लगाया जा रहा है उसके लिए पूर्व में किसी प्रकार से अनुमति या सर्वेक्षण नहीं की गई। आपत्ति करने पर शासन द्वारा निर्धारित दर से मुआवजा देने का वादा किया गया जिसकी सूची अभी गांव में पहुंच रहा है पर जब मुआवजा देने का समय आया तो केवल 20000 रुपए दिया जा रहा है, उसके जमीन पर बड़े-बड़े गड्ढे कर टॉवर लगाया गया है, उसे किस दर से मुआवजा दिया जा रहा है यह भी अधिकारी बताने में आनाकानी कर रही हैं। बहरहाल पिडित किसान ने परेशान होकर कंपनी के द्वारा दिए गए मुआवजा राशि को नाकाफी बताते हुए कलेक्टर रोहित व्यास से उचित मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग की है। इस संबंध में हाइड्रो पावर प्लांट भैयाथान के कर्मिक प्रबंधक संतोष सिंह ने पत्रकारों को बताया कि “जिन किसानों के खेतों से नई लाइन के तार गुजरते हैं, उन्हें सरकारी बाजार भाव के 15% व टावर लगाने पर 85% क्षतिपूर्ति राशि दिया गया है।मुआवजे राशि को विभाग में जमा कर दिया गया है। किसानो को दिए जाने वाले राशि का निर्धारण राजस्व व वन विभाग ने किया है।"

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