अपने कर्मचारियों पर कार्यवही करने कतरा रहे धरमजयगढ़ के उच्च अधिकारी? मामला भ्रष्टाचार का...
धरमजयगढ़।
आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड धरमजयगढ़ भ्रष्टचारियों के लिए सुगम स्थल बन गया है। यहां पर भ्रष्ट्राचार करने वालों को किसी भी प्रकार का कोई डर भय नहीं है। यहां के अधिकारी के पास भ्रष्टाचार की शिकायत करने के बाद भी शिकायत पर कार्यवाही नहीं करते हैं। जिसके कारण ग्राम से लेकर शहर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला बन गया है? कार्यवाही नहीं होने से भ्रष्ट्राचार करने वालों की हौसला बुलंद हो गया है। आए दिन सुनने देखने को मिलता है कि फलना कर्मचारी इस काम के लिए इतना लाख की मांग की है, लेकिन उच्च अधिकारी से शिकायत करने पर उच्च अधिकारी जांच, कार्यवाही करने के बजाए शिकायतकर्ता को ही झूठा साबित करने में तुला रहता है। हाल ही में मीडिया की सुर्खियां बनी एक गरीब परिवार से 3 लाख की मांग करने वाली महिला कर्मचारी पर स्थानीय उच्च अधिकारी अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही तो क्या जांच तक करना उचित नहीं समझा। गरीब बेवस महिला 3 लाख रूपये घूस नहीं दे पाने के कारण आज उनके सर पर छत नहीं है। उच्च अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी उच्च अधिकारियों ने उस बेवस महिला के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। जबकि महिला का प्रधानमंत्री आवास पास होने के बाद भी महिला अपना आवास निर्माण नहीं करवा पाई।
फर्जी तरीके से पट्टा जारी करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कब होगी कार्यवाही
कांग्रेस की शासन में 152 प्रतिशत दर पर शासकीय भूमि पर कब्जा करने वालों को पट्टा जारी किया जा रहा थ। जिसका फायदा कुछ दलालनुमा जमीन दलाल के साथ मिलकर कर्मचारियों द्वारा फर्जी तरीके से जमीन आबंटन करने का मामला भी सामने आ चूका है। कई ऐसे लोगों को भूमि आबंटन कर दिया गया है जो कभी शासकीय भूमि में कब्जा किया ही नहीं है। 152 प्रतिशत में भूमि आबंटन का लाभ सबसे ज्याद शासकीय कर्मचारियों ने उठाया है। राजस्व विभाग के जमीनी कर्मचारियों ने तो रेवरी की तरह नियम विरूद्ध 152 प्रतिशत में पट्टा जारी किया गया है। आज हम एक ऐसा ही मामला के बारे में बता करने वाले हैं जिस पर कलेक्टर कोर्ट के बाद कमिश्नर कोर्ट से भी फर्जी तरीके से कागजात बनाकर जमीन आबंटन करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही करने का आदेश जारी किया है लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी न तो कमिश्नर के आदेश का धरमजयगढ़ के अधिकारियों ने पालन नहीं किया है।
अंगत सिंह राठिया पिता बालक राम राठिया निवासी पीपरमार द्वारा नजूल अधिकारी धरमजयगढ़ के कोर्ट में आवेदन दे कर नित्यानंद सरकार को नजूल टाउन पीपरमार मोहल्ला शीट नंबर 8/16 प्लाट नंबर 1084 रकबा 26400 वर्गफीट से 6935 वर्गफीट शासकीय भूमि का व्यवस्थापन व उक्त भूमि का रजिस्ट्री पर रोक लगाये जाने का निवेदन किया था। एसडीएम के आदेश के विरूद्ध नित्यानंद सरकार अतिरिक्त कलेक्टर रायगढ़ के पास अपील किया था। अतिरिक्त कलेक्टर रायगढ़ द्वारा सुनवाई की 6 सितंबर 2021 को आदेश पारित करते हुए अपने आदेश में अधीनस्थ न्यायालय को यह भी निर्देशित किया था कि पुनरीक्षणकर्ता नित्यानंद सरकार द्वारा उक्त कूटरचित दस्तावेज तैयार कर न्यायालय को गुमराह कर शासकीस नजूल भूमि को व्यवस्थापन कराने के फलस्वरूप जांच कर नियमानुसार दाण्डिक कार्यवाही करना भी सुनिश्चित करें। अतिरक्त कलेक्टर के आदेश के विरूद्ध अनावेदक नित्यानंद सरकार द्वारा न्यायालय अपर आयुक्त बिलासपुर संभाग बिलासपुर (कैम्प रायगढ़) समझ पुनरीक्षण आवेदन प्रस्तुत किया था। न्यायालय द्वारा दिनांक 24 मार्च 2023 को नित्यानंद सरकार का पुनरीक्षण आवेदन को निरस्त करते हुए न्यायालय को निर्देशित किया था कि नित्यानंद सरकार एवं उक्त दस्तावेज को तैयार किये जाने में संलिप्त अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही किया जाये। लेकिन आज एक साल से भी अधिक हो जाने के बाद अपने उच्च न्यायालय के आदेश निर्देश का पालन में किसी भी प्रकार की दोषियों पर कार्यवाही नहीं किया गया है। जिसके कारण आज फर्जी दस्तावेज बनाने वालों का हौसला बुलंद दिखाई दे रहा है। अगर नजूल अधिकारी द्वारा जांच कर कार्यवाही करेंगे तो इनके ही कई कर्मचारी जेल की हवा खायेंगे। अब देखना है कि अपने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कब तक करते हैं धरमजयगढ़ के अधिकारी।
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