दुनिया रखने वाले को भगवान कहते हैं संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं - कथा व्यास पं. रविन्द्र दुबे....

Dec 9, 2024 - 21:53
Dec 9, 2024 - 22:16
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लक्ष्मण जी ने काटी थी सुपर्णखा की नाक बदला लेने के लिऐ रावण ने किया था माता सीता का हरण....

कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क... 

संवाददाता : - दीपक गुप्ता...✍️

 सूरजपुर :- जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम बड़सरा चल रहे 9 दिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन कथा व्यास ने भगवान राम - सीता और लक्ष्मण जी के वन पथ गमन की कथा सुनाई उन्होंने बताया कि चित्रकूट से जब प्रस्थान कर भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अत्रि ऋषि का आश्रम मे पहुंचे महर्षि अत्रि चित्रकूट के ही तपोवन में रहते थे वहां श्रीराम ने कुछ वक्त बिताया अत्रि ऋषि की पत्नी का नाम है अनुसूइया, जो दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी चित्रकूट की मंदाकिनी, गुप्त गोदावरी, छोटी पहाड़ियां, कंदराओं आदि से निकलकर भगवान राम घने जंगलों दंडकारण्य में पहुंचे अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया. यहीं पर राम ने अपना वनवास काटा था. यहां वे लगभग 10 वर्षों से भी अधिक समय तक रहे थे. दंडक राक्षस के कारण इसका नाम दंडकारण्य पड़ा यहां रामायण काल में रावण के सहयोगी बाणासुर का राज्य था यह कथा व्यास ने श्रोताओं को आगे बताया कि इसके बाद के बाद श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पंचवटी की ओर चल दिए थे। पंचवटी में गोदावरी नदी के किनारे पर इन्होंने कुटिया बनाई थी। उस जगह पर गोदावरी धनुषाकार थी। यहीं श्रीराम और जटायु का परिचय हुआ था। जटायु ने श्रीराम को बताया था कि वे राजा दशरथ के मित्र हैं। पंचवटी में एक दिन सूर्पणखा पहुंच गई और वह श्रीराम पर मोहित हो गई थी। उसने श्रीराम से विवाह करने की बात कही तो श्रीराम ने मना कर दिया। इसके बाद सूर्पणखा लक्ष्मण के पास पहुंची थी। लक्ष्मण ने भी विवाह के लिए मना कर दिया तो सूर्पणखा सीता को मारने के लिए आगे बढ़ी तो लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। सूर्पणखा वहां से खर-दूषण के पास पहुंची। खर-दूषण पंचवटी क्षेत्र में रह रहे थे। खर-दूषण श्रीराम, लक्ष्मण को मारने पहुंच गए। श्रीराम-लक्ष्मण ने खर - दूषण सहित उसके 10 हजार सेनाओं का वध कर दिया। इसके बाद सूर्पणखा रावण के पहुंची और रावण ने योजना बनाकर मारीच की मदद से सीता का हरण कर लिया। सीता हरण के बाद जटायु ने उन्हें रावण के बारे में बताया तो श्रीराम पंचवटी से माता सीता की खोज मे दक्षिण दिशा की ओर आगे बढ़ने लगे। श्रीराम दक्षिण दिशा में किष्किंधा राज्य पहुंचे थे। उस समय किष्किंधा ऋष्यमूक पर्वत पर स्थित थी। सुग्रीव जी के कहने पर हनुमान जी साधू का वेष धारण कर श्रीराम जी के पास पहुंचे और विनम्रतापूर्वक हनुमान जी ने प्रभू श्री जी से वन मे भ्रमण करने का कारण पुछा भगवान राम ने हनुमान जी को बताया कि उनकी पत्नी सीता जी का लंका के राजा रावण ने हरण कर लिया है । उन्हें की खोज मे वे यहा तक पहुंचे हैं 

भगवान राम का सुग्रीव का हुआ मिलन :- हनुमान जी ने भगवान राम की सारी बातें सुनी और किष्किंधा के राजा सुग्रीव से मिलवाने ले गए । तथा सुग्रीव से भगवान राम की मित्रता करवाई । साथ ही प्रभू राम को बताया जब दुंदभी नामक दैत्य ने वानर राजा बाली को युद्ध के लिए ललकारा था। वानर राजा बाली किसी भी ललकार को ठुकराता नहीं था और युद्ध मैदान पर चला आता था। बाली के पराक्रम के आगे दुंदभी टिक नहीं सका और महज कुछ पल में बाली ने दुंदभी को परास्त कर उसका वध कर दिया। इसके बाद दुंदभी के शव को हवा में घुमाकर फेंक दिया। इससे दुंदभी का शव कई टुकड़ों में बंट गया। इस दौरान दुंदभी के शरीर से रक्त प्रवाहित होकर मतङ्ग ऋषि के आश्रम पर जा गिरती है। इससे क्रोधित होकर मतङ्ग ऋषि को श्राप दे देता है कि वह आश्रम के पास आएगा, तो उसकी मौत हो जाएगी।

कालांतर में दुंदभी का भाई मायावी वानर राज बाली को युद्ध के लिए ललकारता है। वानर राज बाली पुन: युद्ध के लिए आता है। बाली कई बार मायावी को समझाता है कि वह लौट जाए। युद्ध करेगा, तो उसकी मौत निश्चित है। हालांकि, मायावी नहीं मानता था। तब बाली मायावी का पीछा करने लगा। मायावी एक गुफा में जाकर छिप जाता है। यह देख बाली अपने भाई सुग्रीव को गुफा के बाहर इंतजार करने के लिए कहता है। यह कहकर बाली गुफा के अदंर जाकर मायावी से लड़ने लगता है। कुछ समय बाद गुफा से तेज आवाज आती है। इसके बाद रक्त की धारा गुफा से बाहर आती है। यह देख सुग्रीव को लगता है कि मायावी ने बाली का वध कर दिया है। यह सोच गुफा को पत्थर से बंद कर सुग्रीव किष्किधां लौट आता है। प्रजा में यह सूचना फैल जाती है कि वानर बाली को युद्ध में वीरगति प्राप्त हुई है। यह जान सुग्रीव को नया राजा बनाया जाता है। कुछ दिनों बाद बाली पुन: लौटकर अपने राज आता है। यह देख सब हैरान हो जाते हैं। क्रोधित बाली अपने भाई के कार्य से अप्रसन्न हो जाता है और तत्काल राज छोड़ने का आदेश देता है। हालांकि, सुग्रीव की पत्नी को जाने नहीं देता है और अपने साथ रख लेता है। इस वजह से वानर बंधुओं के बीच युद्ध हुआ था। ये सुनकर भगवान राम ने सुग्रीव की पहचान के लिऐ अपनी माला देकर पुनः सुग्रीव को बाली से युद्ध करने को कहा इसी बीच भगवान राम ने बाली का वध कर दिया । 

भगवान राम , लक्ष्मण हनुमान व जाववंत जी की निकली अदभुत झांकी :- संध्या आरती के साथ आज भगवान राम , लक्ष्मण हनुमान व जाववंत जी की अदभुत झांकी निकाली गई श्रोताओं ने ईश्वर रुपी बच्चों की आरती उतार उनका पूजन किया । जैसे ही ज्वाला मैया की आरती शुरु हुई श्रद्धालू मग्न होकर झुमने लगे आज के राम कथा महोत्सव मे छोटे छोटे बच्चों के अनोखा किरदार ने श्रद्धालूओं का मन मोह लिया । कथा विराम के पश्चात प्रसाद व महा प्रसाद की व्यवस्था आयोजन समिति द्वारा की गई थी ।

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