पेड़ों की बली दे रहा अडानी.... रोटी सेक रहे नेता...

छत्तीसगढ़ में जंगलों के कटाई का सिलसिला बड़ी ही तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है वहीं रायगढ़ जिले के तमनार ब्लाक के मुड़ागांव, पाता एवं नागरामुड़ा सहित दर्जनों गांव के जंगल को उद्योगपति निगलने के जुगाड़ में लगे हुए है और इन्हें सहयोग करते है धोखेबाज नेता वही नेता जो वोट मांगते समय जनता से हर वादा तो बड़ी बेवाकी के साथ करते है लेकिन जब समय आता है जनता के साथ खड़े होने का तो यही नेता पीठ दिखा कर गायब हो जाते है।
रायगढ़ - रायगढ़ जिले में पहले से ही इतने अधिक उद्योग स्थापित है कि आसपास रहने वाले लोगों का जीना भी मुश्किल हो रहा है और ऐसे में सरकार इन क्षेत्रों में उद्योग एवं खदान लगा कर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय कर रही है। प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की हो नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सड़क पर तो आम जनता को चलना है नेताओं को तो लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ गुजरना होता है।
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लाक के मुड़ागांव में लगातार जंगल की कटाई हो रही है लेकिन नेता इस मामले में खुलकर नही बोल रहे है आज जब हम मुड़ागांव पहुँचे तब ग्रामीणों के दर्द को देख दिल दहल गया। ग्रामीणों की माने तो इस क्षेत्र के ग्रामीणों को साल भर भीषण गर्मी के प्रकोप को झेलना पड़ता है और ऐसे में अडानी के द्वारा जंगल की कटाई किए जाने से अत्यधिक चिंचित है क्योंकि सैकड़ो एकड़ में जंगल की कटाई तो एक मिनट में किया जा रहा है लेकिन अब तक एक भी पेड़ अडानी के द्वारा नही लगाया है ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र के ग्रामीणों को और भी भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ेगी।
कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जिस तरह इस क्षेत्र के लोग जिंदल के माइंस से प्रताड़ित है ठीक उसी प्रकार या कहे उससे भी ज्यादा अडानी की माइंस से प्रताड़ित होना पड़ेगा और उस समय शासन प्रशासन उद्योगों का ही साथ देती है और ग्रामीणों को एक कीड़े मकोड़े के समान समझा जाता है।
नेताओं को खरीदने की बातें....
सूत्रों की माने तो कुछ नेता ग्रामीणों को हमदर्दी दिखाने पहुचे थे लेकिन दबी जुबान से कंपनी के कर्मचारियों को यह कहते भी सुना गया है कि कोई नेता कुछ नही करेंगे उन्हें संभाल लिया जाएगा क्योंकि उनसे बात हो गयी है और वे यहाँ पर अपनी राजनीति चमकाने पहुंचे है। बहरहाल वह नेता कौन कौन है इस बात की पुष्टि केपिटल छत्तीसगढ़ नही करता कि किस- नेता को कैसे सेट किया गया।
विधायक के विरोध पर सवालिया निशान....?
ग्रामीणों की माने तो मुड़ागांव एवं आसपास के सभी लोग एक जुट होकर लगभग 4 माह से अडानी की माइंस के खिलाफ आंदोलन के दम पर जंगल की कटाई को रोक कर रखे थे तब तक विधायक जी कहा थीं आखिर इस विनाश का विरोध करने क्यों नही पहुँची क्या इस क्षेत्र की जनता ने वोट देकर इसीलिए विधायक बनाया था कि जनता विरोध करती रहें और विधायक जनता के विरोध की सुध भी न ले ऐसे में अब जब पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है तब विधायक का विरोध करना सवालों के घेरे में आता है...? कहीं यह विरोध दिखावा तो नही....?
राज्यसभा सांसद को ढूढ रही जनता....?
ग्रामीणों की माने तो राज्यसभा सांसद इसी ब्लाक के निवासी है और ऐसे स्थिति में जनता के साथ खड़े न होना उनके राजनीतिक व्यक्तित्व पर सवाल खड़ा करता है कि जब तक किसी पद में नही थे तब तक तमनार ब्लाक के गांवों में ग्रामीणों से मुलाकात करते रहते थे लेकिन जब से राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं तब से इस क्षेत्र की जनता को बीच मजधार में ऐसा छोड़ा की इस क्षेत्र में अडानी जैसे उद्योगपति यहाँ की जनता को कीड़े मकोड़े से ज्यादा कुछ नहीं समझ रहे है तभी तो इतना विरोध करने के बाद भी जंगल की कटाई पर विराम नही लग पा रहा है।
लोकसभा सांसद क्यों नही ले रहे जनता की सुध....?
ग्रामीणों की माने तो वर्तमान में लोकसभा सांसद भाजपा के है और राज्य एवं केंद्र में सरकार भी भाजपा की ही है और ऐसे में किसी भी उद्योग को लगाने की अनुमति केंद्र एवं राज्य सरकार से ही मिलती है और ऐसे में किसी उद्योग का विरोध करना मतलब साफ है कि सरकार के फैसले का विरोध करना इसलिए सांसद जनता को बीच मजधार में उनकी स्थिति में छोड़ दिए इसलिए अडानी के द्वारा काटे जा रहे हजारों पेड़ों का ग्रामीण खुलकर विरोध कर रहे है लेकिन सांसद एक बार भी इन ग्रामीणों की सुध लेने नहीं पहुचें। जब कि सांसद का गृह ग्राम प्रभावित स्थल से ज्यादा दूरी पर नही है ।
पर्यावरण मंत्री की नजर से बचते है नेता....
इस क्षेत्र के प्रभावित ग्रामीणों की माने तो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है और पर्यावरण मंत्री पूर्व कलेक्टर एवं रायगढ़ के लोकप्रिय विधायक ओपी चौधरी है कहा तो यह भी जाता है कि चौधरी जी के इशारे पर सरकार के हर अधिकारी कार्य करते है और ऐसे में नेता चाहे वह भाजपा का हो या कांग्रेस का कोई भी नेता खुलकर इस जंगल की कटाई का विरोध नही कर पा रहे है क्योंकि अगर खुलकर विरोध करेंगे तो इसका मतलब है पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी जी के आदेशों के खिलाफ जाना और ऐसे में भला कोई नेता खुलकर विरोध कैसे कर सकता है और इस कारण कोई भी नेता उनसे नजरें छुपाते रहते है क्योंकि लगभग हर नेता की सफेदी के पीछे दाग जरूर है और उसे छुपाना सब चाहते है लेकिन राजनीति के चक्कर मे दिखावा भी जरूरी है।
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