बीजापुर नक्सल हमले की इनसाइड स्टोरी… कहां-कहां हुई रणनीतिक चूक और नक्सलियों को मिल गया मौका

Jan 9, 2025 - 11:20
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बीजापुर नक्सल हमले की इनसाइड स्टोरी… कहां-कहां हुई रणनीतिक चूक और नक्सलियों को मिल गया मौका

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में बड़ी रणनीतिक चूक का पता चला है। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जवानों की 30 से अधिक टीम कई रास्ते से होते अबूझमाड़ में घुसी थी, लेकिन वापसी के लिए एक ही मार्ग (बेदरे-कुटरु मार्ग) को चुना। 1200 जवान एक ही रास्ते से लौट रहे थे, इसी से नक्सलियों को मौका मिला।

जवानों को बाहर निकालने पहुंची थीं दर्जनों गाड़ियां.....

इससे नक्सलियों को संकेत मिले और साजिश रची......

हमले में शहीद हुए थे डीआरजी के 9 जवान........

जगदलपुर। दक्षिणी अबूझमाड़ में बड़े नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना के बाद एक बड़े अभियान पर दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव व नारायणपुर जिले से जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) व स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 1200 से अधिक जवानों की 30 से अधिक टीम अलग-अलग मार्ग से अबूझमाड़ में घुसी थी। अभियान पूरा करने के बाद जवानों को निकालने के लिए पुलिस ने बीजापुर जिले के बेदरे-कुटरु मार्ग को चुना।

जवानों को लेने चार जनवरी की दोपहर बाद से ही कई गाड़ियां बेदरे व कुटरु की ओर भेजी गई थीं। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सुरक्षा बल के मूवमेंट व गाड़ियों की आवाजाही बढ़ने से नक्सलियों को अंदेशा हो गया कि जवान अब इसी मार्ग से वापिस आएंगे और हमले का मौका मिल गया।

दो-तीन लोगों की एक छोटी टीम ने बेदरे व कुटरु के मध्य अंबेली के पास एक बड़ा इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव (आईईडी) विस्फोट कर जवानों की वाहन को उड़ा दिया, जिसमें डीआरजी के आठ जवान शहीद हो गए और एक आम नागरिक वाहन चालक मारा गया।

जवान के शहीद होने के बाद बढ़ी हल-चल.....

अभियान के दौरान नक्सलियों की गोलीबारी से चार जनवरी की दोपहर डीआरजी जवान सन्नू कारम के बलिदान होने के बाद मारे गए नक्सली व जवान के पार्थिव देह को निकालने प्रयास शुरू हुआ।

कुटरु के एक ग्रामीण ने बताया कि चार जनवरी की दोपहर बाद से बड़ी संख्या में कुटरु और बेदरे की ओर गाड़ियां आनी शुरू हुई थीं। इसके साथ ही सुरक्षा बल के जवानों की कई टुकड़ियां भी पहुंची थी।

लोगों के मुताबिक, ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ा अभियान यहां होने जा रहा है, पर पता नहीं था कि क्या होने वाला है। इसके दो दिन बाद विस्फोट की घटना हुई। जवानों की भारी हलचल की खबर पूरे क्षेत्र में हो गई थी।

अंबेली से दो किमी दूर नक्सली, 12 किमी दूर थे जवान....

छह जनवरी को विस्फोट वाले दिन नैमेड़ में बाजार था, पर अंबेली से दो किमी दूर स्थित उसकापटनम गांव के लोग उस दिन बाजार नहीं पहुंचे थे। पुलिस को जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार इसी गांव में सशस्त्र नक्सलियों के साथ बारुदी सुरंग विस्फोट के जानकार रुके हुए थे।

नक्सलियों ने ग्रामीणों को कहीं भी जाने नहीं दिया, इसलिए पुलिस को इसकी भनक नहीं लग सकी। इधर अभियान के बाद दंतेवाड़ा जिले की टीम सबसे पहले अबूझमाड़ से निकली।

इस टीम के लगभग 80 जवान पीछे से आ रहे अन्य टीम की बेदरे में ही प्रतिक्षा करते रहे। लगभग चार घंटे तक जवानों ने वहां विश्राम किया। इससे भी नक्सलियों को तैयारी का अतिरिक्त अवसर मिला। दोपहर लगभग डेढ़ बजे भोजन के बाद दंतेवाड़ा की पहली टीम 12 वाहन में सवार होकर निकली, इसके कुछ देर बाद ही 12 किमी आगे अंबेली को पार करते ही नक्सलियों ने विस्फोट कर दिया।

विस्फोट के बाद बाइक से निकाले गए अन्य जवान.....

छह जनवरी को हुए विस्फोट के बाद भी अभियान पर गए जवान इसी रास्ते से ही निकाले गए, पर इस बार मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करते हुए जवानों को मोटरसाइकिल पर निकाला गया।

इसके साथ ही पूरे मार्ग पर रोड ओपनिंग पार्टी भी लगाई गई थी, जिससे नक्सलियों को दाेबारा हमले का अवसर नहीं मिला। सभी जवान सुरक्षित वापसी कर चुके हैं।

बड़े नक्सलियों की थी उपस्थिति....

पुलिस के अनुसार, अबूझमाड़ में केंद्रीय समिति के नेता रामचंद्र रेड्डी, सुजाता सहित कई बड़े नक्सली उपस्थित थी। उनकी सुरक्षा में नक्सलियों के मिलिट्री फार्मेशन के नक्सली भी थे।

चारों जिलों के 1200 से अधिक जवान घेराबंदी करते आगे बढ़ रहे थे, पर बड़े नक्सली भाग निकलने में सफल रहे। गट्टाकाल की पहाड़ी पर चढ़ाई करते हुए नक्सलियों की गोलीबारी में जवान सन्नू कारम बलिदान हो गए। सुरक्षा बल ने भी पांच नक्सलियों को मार गिराया।

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