रायगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष कौन....?

सर्वाधिक महिला निर्वाचित होने के वावजूद पुरूष वर्चस्व हावी न हो, मंडरा रहा खतरा...
रायगढ़ - रायगढ़ में इस बार भाजपा अपने ही फेके पासे में फसती नजर आ रही है एक तरफ जहां रायगढ़ के लगभग सभी सीटों में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिली है वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत अध्यक्ष का सीट महिला के लिए आरक्षित होने के बाद से महिलाओं के पीछे पुरुषों की राजनीति हावी होती नजर आ रही है।
सूत्रों की माने तो इस बार 18 में 16 पर भाजपा समर्थित को विजय प्राप्त हुई है इसलिए भाजपा का ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है, इस बार 16 जिला पंचायत सदस्यों में से लगभग 5 पर महिलाओं को विजय मिली है उसमें सबसे ज्यादा चर्चा सुषमा खलखो की हो रही है क्योंकि सुषमा खलखो आज तक भाजपा के साथ एक निडर कार्यकर्ता के रूप में काम करते आ रही है और इस बार जिला पंचायत सदस्य के लिए भाजपा ने भरोसा जताया था और पहली ही बार मे जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुई है। और इस लिहाज से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही है।
वहीं भाजपा जिला पंचायत सदस्य के रूप में 4 और महिलाएं चुनी गई है जिसमे एक तो अभी अभी कांग्रेस से भाजपा में आए नेता की धर्मपत्नी भी है और जिला पंचायत अध्यक्ष के रेस में दौड़ लगा रही है अब देखना यह है कि सत्ता के साथ भाजपा में शामिल हुए नेताओं को जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद से नवाजा जाता है या नही।
अगर हम इन दोनों महिला नेताओं में देखे तो सुषमा खलखो में एक बात प्लस यह होती नजर आ रही है कि सुषमा अपने व्यवहार एवं मेहनत के दम पर इस मुकाम तक पहुँची है लेकिन वही नायक की तरफ एक बात सबसे बड़ी कमी यह है कि इनके पति भाजपा की सत्ता आने के बाद कांग्रेस को डूबती नाव समझकर छलांग मारकर भाजपा में शामिल हुए है और अब अपने आप को रायगढ़ विधायक का सबसे ज्यादा करीबी बताने का भरपूर प्रयास कर रहे है अब अगर ऐसे में नायक जी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया जाता है तो ऐसे में पुराने कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने में तनिक भी देरी नही होगी।
अब वहीं अगर अन्य बची महिला जिला पंचायत सदस्यों को अध्यक्ष बनाने की बात करें तो अन्य सदस्यों के पर्दे के पीछे पुरुषों का ही चेहरा नजर आ रहा है इसका मतलब साफ है कि अगर ऐसे जिला पंचायत सदस्य को अध्यक्ष बनाया गया तो कही न कही महिला अध्यक्ष की स्वतंत्रता पर पुरुषों का वर्चस्व हावी ही रहेगा।
बहरहाल अब देखना यह है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर महिला जिला पंचायत अध्यक्ष की स्वतंत्रता बनी रहती है या फिर पुरुषों का वर्चस्व हावी होता है।
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