जनता और पत्रकारों की नाराजगी किसको पड़ेगी भारी....?
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विष्णु महायज्ञ मेला बंद कराने वाली या चालू कराने वाले किसे चुनेगी जनता ?
ओमकार केसरवानी की खास रिपोर्टिंग सारंगढ़ से
सारंगढ़ । छग में सारंगढ़ को अबूझ राजनीति का गढ़ कहा जाता है , अर्थात यहाँ की राजनीति कब व कहां किस करवट बैठेगी इसका आंकलन कर पाना इतना सहज नही हैं । सारंगढ़ विधानसभा चुनाव में जब पूरा देश इंदिरा लहर में लहरा रहा था उस समय सारंगढ़ की जनता ने इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जप्त कर दी थी , जिसे बीबीसी लंदन के द्वारा रेडियो में प्रसारण किया गया था । यहां की राजनीति का क्या कहना जहां सारंगढ़ लोकसभा में जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी परसराम भारद्वाज को 6 बार सांसद बनाया तो वही सारंगढ़ विधानसभा के इकलौता सांसद गुहाराम अजग्गले ऐसे विजयी हुए की इसके पश्चात सारंगढ़ लोकसभा सीट इतिहास के आयने से ही लुप्त हो गई । इस शहर की राजनीति के विषय में कुछ कहना अर्थात सूखी डबरी में मछली ढूंढना है । सारंगढ़ में पनवाड़ी की दुकान से लेकर , चाय पे चर्चा भी राजनीतिक मुद्दों पर होती है । बाल काटता ठाकुर या सब्जी बेचता हटवारी भी राज्य और देश की राजनैतिक घटनाक्रम की जानकारी रखता है । एक ऐसा शहर जिसे पान , पानी और पांलगी की नगरी कहा जाता है, वहाँ इस बार चर्चा वर्तमान लोकसभा चुनाव की हो रही है ।
विदित हो कि - भाजपा के द्वारा दिए गये प्रत्याशी के वर्षों बाद सारंगढ़ विधान सभा से कांग्रेस ने लोकसभा प्रत्याशी दी फिर भी जनता खुश क्यों नज़र नही आ रही समझ से परे है ? जो कलम कार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में खड़ें दिखें एकाएक खिलाफ़ नजर क्यों आने लगे ? वर्षो सारंगढ़ को नेतृत्व दिलाने की मांग करते नगरवासी क्यों व्हाट्सअप ग्रुप में स्थानीय प्रत्याशी को वोट ना देने की अपील करने लगे? मामला गंभीर है लेकिन चुनाव के अंतिम समय में भी कांग्रेस के सिपहसालार और सलाहकार इस खाई को पाटने में विफल प्रतीत क्यों हो रहे हैँ । ऐसी स्थिति और परिस्थिति के बीच जब विधान सभा सारंगढ, लोक सभा चुनाव के लिए अंतिम चरण की वोटिंग की तिथि नजदीक आ रही है जो रायगढ लोकसभा के भीतर शामिल है तथा डाक मतपत्र से वोटिंग 26 अप्रैल से शुरू हुआ है । जिसमें पत्रकारों को भी अनिवार्य सेवा के तहत मत पत्र से मतदान करने का मौका भी मिला है ।
अगर रायगढ लोकसभा की बात करें तो इस बार कांग्रेस ने सारंगढ राजपरिवार की डॉ मेनका सिंह को टिकट दिया है जिसके सम्बंध में नगर और क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाओं का दौर जारी है। जिसमें कुछ नागरिकों ने विष्णु महायज्ञ मेला को लेकर महल विरोधी बयान करते हुए वोट ना देने तक की अपील तक सारंगढ के प्रमुख वाट्सएप ग्रुपों में कर दिया । वहीं टिकट घोषित होने के बाद पहली बार राजमहल में आयोजित प्रेसवार्ता में कुछ पत्रकारों ने महल में मिलने आने पर लगने वाले समय व दरवाजे में लगने वाले आम प्रवेश वर्जित के बोर्ड पर भी प्रश्न किया था ? जिसके उत्तर में राजपरिवार के सदस्यों ने जवाब दिया था कि - महल में परिवार रहता है जिसमें कई बार महिलाएं अकेले रहती हैं । इसी कारण ऐसी व्यवस्था करनी पडी है वहीं सूत्रों की माने तो एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की सलाह पर वर्तमान में आम प्रवेश वर्जित के बोर्ड को हटा लिया गया है । बहरहाल वर्तमान में यह मुकाबला मोदी की गारंटी पर आश्रित एक आम आदमी राधेश्याम वर्सेज सारंगढ़ राजघराना है । इस मुकाबले में वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी के आदिवासी कोटे से टिकट मिलने पर भाजपा के मंत्री रामविचार नेताम ने प्रश्न उठाया था जिसका सारंगढ़ राजपरिवार ने खण्डन करते हुए कहा था कि - ये मूलतः आदिवासी परिवार की बेटी हैं। बहरहाल देखना यही बाकी है कि - क्षेत्र की जनता किस पर भरोसा करती है और किसे रायगढ लोकसभा का ताज सौंपती है ।
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