CG में बिछेगी 278 KM लंबी नई रेल लाइन, इन 8 गांव में जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक, कलेक्टर ने जारी किया आदेश

New Rail Line: केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को नई रेल लाइन की सौगात दी है। लंबे समय से प्रस्तावित खरसिया से नया रायपुर-परमालकसा (दुर्ग-राजनांदगांव के बीच) 278 किलोमीटर तक नई डबल रेल को स्वीकृति दी है।
रेलवे की ओर राजनांदगांव जिले के परमालकसा से खरसिया नया रायपुर रेल लाइन का विस्तार किया जाएगा। इस नई रेल लाइन के लिए सर्वे के साथ ही राशि की स्वीकृति भी हो गई है।
इधर भूमाफियाओं के सक्रिय होने से पहले ही कलेक्टर संजय अग्रवाल ने इस परियोजना के दायरे में आने वाले 8 गांव में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी है। दरअसल दूसरी परियोजनाओं को देखने में आया है कि भूमाफिया किसानों से जमीन खरीद लेते हैं और छोटे टुकड़ों में बटांकन कराकर मुआवजा लेते हैं। इससे परियोजना की लागत राशि बढ़ जाती है।
इस नुकसान से बचने और असल किसानों को भूर्जन की राशि दिलाने के लिए खरीदी-बिक्री के साथ ही बटांकन, भूमि के अंतरण, व्यपवर्तन पर पूर्णता: प्रतिबंध लगा दिया है। जारी किए गए आदेश के तहत परियोजना के दायरे में टेड़ेसरा, इंदावानी, फरहद, बैगाटोला, ककरेल, महुआभाठा, परमालकसा व तुमड़ीलेवा के किसानों की जमीन रेल लाइन के दायरे में आ रही है। इन जमीनों पर प्रतिबंध लगा है।
भारत माला परियोजना में खेल.....
केन्द्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत भी चौड़ी सड़क का निर्माण टेड़ेसरा के पास से किया जा रहा है। इस परियोजना में भूमाफिया सक्रिय रहे हैं। आसपास की जमीनों को औने-पौने दाम में खरीद कर डबल मुआवजा खेल कर दिए हैं। इसी तरह अन्य सड़क परियोजनाओं में भी यही खेल होता आ रहा है। इससे परियोजना की लागत राशि बढ़ी है तो वहीं सार्वजनिक रूप से भी आर्थिक बोझ दूसरों पर बढ़ता है।
अधिसूचना जारी होने तक प्रभाव....
सार्वजनिक हितों को देखते हुए जमीन की खरीदी-बिक्री प्रतिबंधित की गई है। कलेक्टर अग्रवाल ने बताया कि यह आदेश भूमि अधिग्रहण के साथ मुआवजा राशि आबंटित होने की प्रक्रिया पूरी होते तक प्रभावशील रहेगा। राज्य सरकार की ओर से अंतिम अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करने अनुरोध किया गया है।
आर्थिक क्षति पहुंचती है....
कलेक्टर ने दूसरी परियोजना का हवाला देते हुए आदेश जारी किया है कि रेल लाइन के दायरे में आने वाले जमीन की अवैध और अनाधिकृत खरीदी-बिक्री की संभावना बढ़ जाती है। भूमाफिया किसानों को बरगला कर जमीन खरीद लेते हैं। इससे किसानों को वाजिब मुआवजा का हक नहीं मिल पाता। जमीन के अवैधानिक अंतरण के कारण शासन को अनावश्यक आर्थिक क्षति पहुंचती है।
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