vipin43 Nov 19, 2024 0 1
vipin43 Nov 19, 2024 0 27
vipin43 Nov 19, 2024 0 172
vipin43 Nov 14, 2024 0 21
vipin43 Nov 12, 2024 0 15
vipin43 Nov 21, 2024 0 68
vipin43 Nov 21, 2024 0 55
vipin43 Nov 20, 2024 0 46
vipin43 Nov 20, 2024 0 204
vipin43 Nov 20, 2024 0 132
vipin43 Nov 21, 2024 0 29
vipin43 Nov 21, 2024 0 22
vipin43 Nov 20, 2024 0 24
vipin43 Nov 20, 2024 0 16
vipin43 Nov 7, 2024 0 79
vipin43 Nov 7, 2024 0 138
vipin43 Sep 15, 2024 0 291
vipin43 Sep 2, 2024 0 357
vipin43 Aug 13, 2024 0 247
vipin43 Jul 13, 2024 0 418
vipin43 Sep 20, 2023 0 287
vipin43 Jul 15, 2023 0 278
vipin43 Dec 31, 2023 0 176
vipin43 Oct 20, 2023 0 256
vipin43 Oct 23, 2024 0 88
vipin43 Oct 21, 2024 0 110
vipin43 Jun 25, 2024 0 168
vipin43 May 6, 2024 0 122
vipin43 May 6, 2024 0 137
Join our subscribers list to get the latest news, updates and special offers directly in your inbox
दशरथ के घर घर पधारे हैं राम लल्ला बधाई हो बधाई.... नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की.... धुमधाम से मनाया गया भगवान कृष्ण और श्रीराम का जन्मोत्सव...
कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क
संवाददाता :- दीपक गुप्ता...✍️
सूरजपुर :- जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम बड़सरा मे चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस को भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम का जन्मोत्सव बड़े ही धुमधाम से मनाया गया । इस दौरान कथा श्रोता खुशियों से झुमते नजर आ रहे थे ।
हम राम जी के राम जी हमारे हैं :- पुज्या शीघ्रता त्रिपाठी ने श्रोताओं को भजन के माध्यम से बताया कि हम भगवान श्री राम के आराध्य हैं इसलिए राम जी हमारे है वही सर्वप्रथम भगवान श्री राम जी जन्मोत्सव मनाया गया जिसमे उपस्थित जन खुशियों से झुमते नजर आये जहा एक ओर श्रोताओं ने दोनों हाथ उठाकर भगवान श्री राम का स्वागत किया वही श्रोतागण अपने - अपने स्थान पर खडे होकर ताली बजाकर अपनी खुशियाँ एक दुसरे से बांटी तपश्चात भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी शुरु कर दी गई ।
नंद के आनंद भयों जय कन्हैया लाल की :- जैसे ही नाटकीय प्रसारण के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ वैसे ही श्रोताओ की खुशी आज देखते ही बन रही थी । भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की पौराणिक कथा कुछ इस तरह है भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- 'हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।' यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- 'मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है?' कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ 'माया' थी। जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।' उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए। अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- 'अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।' यह है कृष्ण जन्म की कथा। हाय रे सरगुजा नाचे के धुन जम कर थिरके श्रोतागण :- कथा और भजन के बीच जैसे ही सरगुजिहा पारंपरिक गीत हाय रे सरगुजा नाचे की धुन निकली वैसे ही श्रोतागणों की खुशी दुगुनी हो गई उपस्थित जन जमकर थिरकने लगे ।
Like
Dislike
Love
Funny
Angry
Sad
Wow
vipin43 Sep 21, 2024 0 78
vipin43 May 14, 2024 0 90
vipin43 Nov 6, 2024 0 36
vipin43 Nov 5, 2024 0 2261
vipin43 Nov 15, 2024 0 860
vipin43 Oct 24, 2024 0 674
vipin43 Nov 11, 2024 0 629
vipin43 Oct 25, 2024 0 463