शासकीय महाविद्यालय सीपत में मशरूम उत्पादन एवं रोजगार की संभावनाओं पर कार्यशाला का आयोजन किया गया

Nov 14, 2024 - 19:45
Nov 14, 2024 - 20:53
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शासकीय महाविद्यालय सीपत में मशरूम उत्पादन एवं रोजगार की संभावनाओं पर कार्यशाला का आयोजन किया गया

आशुतोष गुप्ता सीपत 

शासकीय मदनलाल शुक्ल स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीपत में पीएम-उषा के कैरियर गाइडेंस गतिविधियों के अंतर्गत महाविद्यालय के रोजगार प्रकोष्ठ, कैरियर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट समिति द्वारा मशरूम उत्पादन कौशल एवं रोज़गार की संभावनाएं विषय पर महाविद्यालय स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र बिलासपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी एवं पौध रोग विशेषज्ञ श्री जयंत कुमार साहू के द्वारा मशरूम उत्पादन के विभिन्न विधियों के जानकारी के साथ ही प्रायोगिक विधियों का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजीव शंकर खेर ने की।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा विभिन्न प्रकार के धान के किस्मों, ग्राफ्टिंग के विधियों तथा धान के उपउत्पाद पैरा से कैसे मशरूम का उत्पादन करें साथ ही इससे कैसे स्वरोजगार प्रारंभ कर सकते हैं पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने विद्यार्थियों को कृषि के क्षेत्र में नवाचार हेतु प्रेरित भी किया। दूसरे सत्र में श्री जयंत कुमार साहू ने बताया कि ओएस्टर मशरूम की शेल्फ लाइफ अधिक होती है, एवं प्रारंभिक स्तर पर इसका उत्पादन किया जाना बेहतर होता है। इसके उत्पादन के लिए सही मात्रा में उमस, कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ताप नियंत्रण की आवश्यकता होती है एवं छत्तीसगढ़ का वातावरण इसके लिये बहुत अनुकूल माना जाता है। ओएस्टर मशरूम का उत्पादन पूरे वर्ष भर किया जा सकता है तथा इसके उत्पादन के विभिन्न विधियों का प्रायोगिक प्रदर्शन किया गया । कार्यशाला को प्राचार्य डॉ राजीव शंकर खेर ने संबोधित करते हुए छात्र/छात्राओं को बताया कि पीएम-उषा के कैरियर एवं गाइडेंस की गतिविधियों के अंतर्गत विभिन्न कौशल आधारित कार्यशालाओं का आयोजन भविष्य में भी किया जाता रहेगा। उन्होंने छात्र/छात्राओं को इन कार्यशालाओं के लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी किया।

कार्यशाला का संचालन डॉ के वेणु आचारी द्वारा तथा आभार प्रदर्शन भूपेंद्र देवांगन द्वारा किया गया । कार्यशाला में डॉ रघुनंदन पटेल, डॉ रामप्रसाद चन्द्रा, प्रो. जीवन प्रभाकर गोरे का योगदान रहा। प्रो. नीना वखारिया, प्रो श्वेता पंड्या, डॉ शुभ्रा मिश्रा, किशोर यादव, अश्वनी कुमार नेताम, पवन कांत, कल्याणी, सत्यवान, रोहणी, मिथलेश श्रीवास सहित 150 से अधिक छात्र/छात्राओं ने भाग लिया।

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