बद्दुआओं के कालम में नालंदा का भूमि पूजन...?

Dec 3, 2024 - 10:59
Dec 3, 2024 - 11:16
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बद्दुआओं के कालम में नालंदा का भूमि पूजन...?

रायगढ़ में ओपी चौधरी के ड्रीम प्रोजेक्ट नालंदा के लिए पूरा प्रशासन दिन रात एक कर दिया है क्योंकि अगर इस नालंदा में किसी भी प्रकार की परेशानी आई तो इसका सीधा मतलब यह है कि OP Choudhary के टारगेट में रहना इसलिए पूरे प्रशासन की टीम ने नालंदा के कैफेटेरिया निर्माण के लिए जिस जमीन को खाली करवाना था उसे सुबह 5 बजे ही तोड़ने पहुँच जाते है। क्योंकि अगर तोड़ने में देरी हुई और उस मकान में स्थगनादेश मिल जाता तो कही न कही ड्रीम प्रोजेक्ट में अड़चन आना लगभग तय माना जा रहा था। इसलिए सुबह पूरी प्रशासन की टीम ने धावा बोला और सुबह 9 बजे तक मकान को तोड़ कर प्रशासन अपने रूटीन के कार्यों में व्यस्त हो गई अब सोचना यह है कि जिस घर मे बच्चें सोकर न उठे हो और उस मकान को ढहा दिया गया हो तो क्या उस माँ की बद्दुआ उस प्रशासन पर नही पड़ी होगी। या कहे जिस मकान को तोड़ने से एक माँ की बद्दुआ निकली होगी उस स्थान पर नालंदा के कैफेटेरिया के कालम खड़े होंगे...?

रायगढ़ शहर के कई ऐसे मामले है जिसमे राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण करोड़ों की जमीन की हेराफेरी लगातार हो रही है लेकिन प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अंजान बना बैठा है क्योंकि ऐसे मामलों में दोनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं की संलिप्तता होती है ऐसे में प्रशासन चाहते हुए भी लाचार बनी रहती है। क्योंकि सत्ता कब किसकी आ जाए यह किसी को ज्ञात नही होता।

लेकिन जब नालंदा ड्रीम प्रोजेक्ट की बात आती है तब भी यही देखा गया कि दोनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं में से एक भी ऐसा नेता नही मिला जो यह कह सके कि इस मकान को कम से कम 9 बजे के बाद तोड़ना शुरू करें। 

पार्षद के गायब होने का रहस्य....?

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इस वार्ड के पार्षद जिसे यहाँ के लोग अपना अमूल्य वोट दे कर नेतागीरी करने का मौका दिए उस दिन पार्षद भी गायब हो गए थे कुछ लोग यह भी बोल रहे थे कि पार्षद ओपी चौधरी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नही करना चाहते अगर ऐसा करेंगे तो फिर उनके भी कई ऐसे मामले है जिसमे परेशानी हो सकती है इसलिए रायगढ़ से गायब होने ही सही है....?

इस जमीन पर आपत्ति क्यो नही.....?

जिस जगह पर आज नालंदा का भूमि पूजन का आयोजन रखा गया है उस स्थान को पूर्व में पत्रकारों के लिए चयनित किया गया था लेकिन प्रशासन के ही एक विभाग ने एक आपत्ति दर्ज कराई थी कि यह नदी मद की जमीन है और जब बात नालंदा की आई तो कोई आपत्ति नही लगी इसका मतलब क्या समझ जाए.....? क्या अब इस विभाग के मुखिया सिर्फ पत्रकारों के आबंटित भूमि पर ही आपत्ति दर्ज कराने के लिए सामने आए थे अब इस नालंदा पर आपत्ति क्यो नही दे रहे है कही ऐसा तो नही की ओपी चौधरी के ड्रीम प्रोजेक्ट में जिस ने आपत्ति दर्ज कराई उसकी खैर नही......?

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