सुहागिन महिलाओं ने बड़े ही धूमधाम से हरितालिका तीज मनाई
सारंगढ़-बिलाईगढ़ -- जिले में सुहागिन महिलाओं द्वारा बड़े ही धूमधाम से हरितालिका तीज मनाई जा रही है। हरितालिका तीज सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे कठिन व्रत माना जाता है। जिसमें महिलाएं निर्जला उपवास रखकर भगवान से पति के लिए लंबी उम्र की कामना करती हैं। सोमवार को व्रती महिलाएं घर में शाम के समय पूरे विधि- विधान के साथ भगवान शिव पार्वती की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की। विवाहित महिलाओं ने पूरे दिन निर्जला उपवास रखा। शहर में सुबह से हो रही बारिश के चलते महिलाओं ने घर पर ही भगवान की पूजा की।
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुसार वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी का भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत खोलती हैं।
व्रत को लेकर पंडित दिनेश शर्मा ने बताया की हरितालिका तीज को लेकर मान्यता है कि एक बार देवी पार्वती का उनकी सखियों ने अपहरण कर लिया था। उनकी सहेलियाँ उन्हें लेकर वो कहीं चली गईं। ऐसे में माता पार्वती बालू का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गईं। तब से ही इसे सुहागिन महिलाएं मनाती आ रही हैं।
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