एनएचएम संविदा कर्मचारियों का 19वाँ दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल, केलो नदी में संविदा शोषण प्रथा के पुतले का विसर्जन

रायगढ़, 5 सितंबर 2025 – आज, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के संविदा कर्मचारियों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के 19वें दिन छत्तीसगढ़ की पवित्र केलो नदी के तट पर एक प्रतीकात्मक और सशक्त कदम उठाया। संविदा शोषण प्रथा के पुतले को, जो आर्थिक शोषण, शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, दुर्व्यवहार और उपेक्षा का प्रतीक था, नदी में विसर्जित कर एक स्पष्ट संदेश दिया गया – "संविदा राक्षस का अंत हो, एनएचएम कर्मियों को न्याय मिले!"
संविदा शोषण: एक राक्षस जो निगल रहा है कर्मचारियों का हक
पिछले 20 वर्षों से एनएचएम के तहत कार्यरत हजारों कर्मचारी – डॉक्टर, नर्स, लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट और अन्य स्वास्थ्यकर्मी – नियमितीकरण, समान काम के लिए समान वेतन, ग्रेड पे, और अनुकम्पा नियुक्ति जैसी अपनी 10-सूत्रीय मांगों के लिए संघर्षरत हैं। लेकिन सरकार की उदासीनता और वादाखिलाफी ने इन कर्मचारियों को सड़कों पर उतरने को मजबूर किया है। "जब सरकार हमारी सुनती नहीं, तो हमें संविदा के इस राक्षस को डुबोना ही होगा," एक प्रदर्शनकारी कर्मचारी ने तंज कसते हुए कहा।
केलो घाट पर संदेश: शोषण का अंत, न्याय की शुरुआत
केलो नदी के घाट पर एकत्रित सैकड़ों एनएचएम कर्मचारियों ने संविदा प्रथा के पुतले को विसर्जित कर अपनी मांगों को दोहराया। "यह पुतला केवल मिट्टी का नहीं, बल्कि उस शोषण का प्रतीक है जो हमें हर दिन झेलना पड़ता है। आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, और कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार – यह सब संविदा प्रथा की देन है," छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा। उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री महोदय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की, ताकि कर्मचारियों की मांगों पर ठोस कार्रवाई हो।
10-सूत्रीय मांगें: हक की लड़ाई
एनएचएम कर्मचारियों की मांगें केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती के लिए हैं। इनमें शामिल हैं:
1. नियमितीकरण/स्थायीकरण
2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
3. ग्रेड पे निर्धारण
4. लंबित 27% वेतन वृद्धि
5. कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता
6. नियमित भर्ती में आरक्षण
7. अनुकम्पा नियुक्ति
8. मेडिकल एवं अन्य अवकाश
9. पारदर्शी स्थानांतरण नीति
10. 10 लाख का कैशलेस बीमा
सरकार की चुप्पी, कर्मचारियों की हुंकार
छत्तीसगढ़ सरकार ने 170 से अधिक ज्ञापनों के बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं दिया। उल्टे, कर्मचारियों को "नो वर्क, नो पे" की धमकी, बर्खास्तगी जैसी कार्यवाही की गई, और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। मुख्य बात जिसमें अड़ियल प्रशासनिक रवैए की बात सामने आ रही है। "जब हम दिन-रात जनता की सेवा करते हैं, तब सरकार को हमारी मेहनत दिखती है। लेकिन जब हक मांगने की बारी आती है, तो हमें धमकियाँ मिलती हैं। क्या यही है 'सबका साथ, सबका विकास'?" एक कर्मचारी ने व्यंग्य भरे लहजे में पूछा।
आगे की राह: हड़ताल जारी, हौसला बरकरार
एनएचएम कर्मचारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी। "हम केलो नदी में संविदा शोषण का पुतला विसर्जित कर चुके हैं, अब सरकार की बारी है कि वह इस प्रथा को वास्तव में खत्म करे," कर्मचारी संघ ने कहा।
मुख्यमंत्री से अपील
कर्मचारियों ने माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से अपील की है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और 16,000 से अधिक कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएँ। "हमारी लड़ाई केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए है। अगर सरकार हमारी सुन ले, तो यह जनता के हित में होगा," कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा।
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