बेलाग वाहनों पर लगाम लगाने में पुलिस नाकाम.....
आखिर कब तक विश्वासघात के शिकार होंगे वोटर.....
लैलूंगा विधानसभा घोर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहाँ की भोली भाली जनता हमेशा से अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है अभी उद्योगपतियों तो कभी राजनेता इन्हें अपना शिकार बनते है।
तमनार विकास खण्ड किसी जमाने मे बहुत ही शांति प्रिय इलाका हुआ करता था लेकिन अब उतना ही अशांति प्रिय बन गया है। यहाँ रहने वाले लोग पहले शुद्ध हवा लेते थे लेकिन जब से जिंदल आया है तब से डस्ट से यहाँ के लोग परेशान है।
पुलिस वालों से लेनदेन मतलब क्या......?
किसी भी रिहायशी इलाके में कुछ समय के लिए नो एंट्री लगाया जाता है जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना ना घटे लेकिन कुछ समय तो दूर स्कूल के समय मे भी नो एंट्री नही लगता। कुछ ट्रक ड्राइवर वालो से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि कोई पुलिस उन्हें नही रोकता क्योकि हमारा लेनदेन चलता है।
तमनार में पुलिस वालों को किसी के जान की कोई परवाह नही है तब तो नो एंट्री पर ध्यान नही देती नो एंट्री के समय कोई पुलिस वाला नहीं दिखाई देता जो बेलगाम बड़ी गाड़ियों पर रोक लगा सके उन्हें तो सिर्फ अपने ऊपरी कमाई से मतलब होता है।
जिंदल के किसी भी गाड़ी पर कोई रोक नही क्यो?
तमनार में सबसे ज्यादा जिंदल की गाड़ियां चलती है यह गाड़ियां सड़को पर काल बनकर चलती है लेकिन इन पर लगाम लगाने वाला कोई नही है नहीं नेता और नही पुलिस आखिर कब लगे गई लगाम?
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