अपने घरों को सजायें सजे हुऐ घर मे लोगों के साथ ईश्वर भी आते हैं :- कथा व्यास आचार्य श्री कांत त्रिपाठी.....

Feb 27, 2024 - 01:31
Feb 27, 2024 - 01:33
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श्री मद भागवत कथा के सप्तम दिवस को श्री कृष्ण - सुदामा चरित्र का हुआ वर्णन श्री कृष्ण से मिले सुदामा श्रोताओं ने जमकर खेली फूलों की होली.... 

कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क....

 संवाददाता :- दीपक गुप्ता....✍️

 सूरजपुर :- जिले के भैयाथान विकासखंड के ग्राम बड़सरा विगत 20 फरवरी से चल रहे श्री मद भागवत कथा के सप्तम दिवस को कथा वाचक पुज्या शीघ्रता त्रिपाठी ने श्रोताओं को मार्मिक कथा प्रसंग मे श्री कृष्ण सुदामा के चरित्रों का वर्णन करते हुऐ बताया कि सुदामा जी ब्राम्हण होने के नाते भले ही भिक्षावृत्ति करते थे पर उनके भेषभूषा को देखकर कुछ लोगों ने उन्हें दरिद्र कहा पर वे दरिद्र नही थे बल्कि गरीब थे वे भगवान श्री कृष्ण का भजन करने के साथ साथ उनके बचपन के मित्र भी थे । कथा के शुरुआती दौर में आचार्य श्री कांत त्रिपाठी ने श्रोताओं को बताया कि बीते कल के प्रसंग मे भगवान श्री कृष्ण और रुकमणी का विवाह वैदिक परंपरा से हुआ था आगे चलकर भगवान गृहस्थ जीवन मे प्रवेश कर गये उन्होंने आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण के दुश्मन इतने बढ गये कि उन्हें गोकुल छोड़कर बिन्द्रावन आना पड़ा अंततः महज 11 वर्ष की उम्र मे भगवान श्री कृष्ण को अपने मामा कंस का वध करना पड़ा ।वही कथा के बीच मे राधे कृष्ण राधे कृष्ण के मधुर भजन के श्रोताओं का मन मोह मोह लिया । आचार्य श्री कांत त्रिपाठी ने कथा प्रसंग आगे बढाते हुऐ श्रोताओं को जब भगवान मथुरा पुरी मे गए तो वहा उनके दुश्मन जरासंध से उनका सामना हुआ । जरासंध ने भगवान श्री कृष्ण के पुत्र प्रदुम्न का हरण कर लिया पुरी मथुरा विरान हो गई नगर मे कोई किसी से बात नही करते थे सभी प्रदुम्न के अपहरण को लेकर चिंतित थे जब जरासंध से विजय प्राप्त कर प्रदुम्न जब सपत्नीक सहित अपने घर पहुचे तब माता रुकमणी दरवाजा खोलते हुऐ तत्काल अपने पुत्र को पहचान लिया माता रुकमणी ने प्रदुम्न से पुछा कि बेटा ये कौन है जो तुम्हारे साथ आई है तब प्रदुम्न ने अपनी माता रुकमणी से कहा कि माँ मै तुम्हारा बेटा हूँ और ये तुम्हारी बहू है । घर के बहुओं का सार समझाते हुऐ कथा व्यास ने आगे कहा कि बहूयें दो प्रकार की होती है अच्छी और संस्कारी बहू मिली तो घर और कुल को सवांर देती है वही अगर खराब बहू मिली तो ससुराल पक्ष के पुरे खानदान को बिगाड़ देती है इसमे गलती भी हमारी ही है हम सुरत देखकर ब्याह करते है सिरत तो हमने देखी ही नही ! स्वरूप मे भले ही फर्क हो हमे उनका स्वभाव देखना चाहिए । कथा सार को आगे बताते हुऐ उन्होंने आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण के सोलह हजार एक सौ आठ पत्नियां थीं उनके संतानों की अगर बात करें तो वैदिक महापुराण के अनुशार सोलह हजार एक सौ आठ बेटियां और एक लाख एकसठ हजार अस्सी बेटे हुऐ । तपश्चात श्यामा प्यारे कुंज बिहारी के मधुर भजन की शुरुआत कर पुज्या शीघ्रता त्रिपाठी ने कथा प्रसंग को आगे बढ़ाया । उन्होंने कहा कि जितने भी पुराण हैं उन सभी पुराणों का प्राण है श्री मद भागवत पुराण....

 श्री कृष्ण से मिलने गये सुदामा द्वारपालों ने रोका :- जब भगवान श्री कृष्ण के सखा सुदामा जी श्री कृष्ण से मिलने उनके नगर गये तब द्वारपालों ने उन्हें महल के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया इतना ही नही उन्हें धक्के देकर गिरा भी दिया गया रोते रोते सुदामा जी द्वारपालों से भगवान श्री कृष्ण मिलने की मिन्नतें करते रहे उन्होंने जब जब द्वारपालों को बताया की वे भगवान श्री कृष्ण के मित्र हैं तब द्वारपालों ने उनकी हसी उड़ाई कहा इतने बड़े राजा एक गरीब ब्राम्हण के मित्र कैसे हो सकते हैं सुदामा जी के तमाम कोशिशों के बाद भी द्वारपालों ने उन्हें महल के अंदर जाने नही दिया तब सुदामा जी ने द्वारपालों से कहा कि वे वही महल के बाहर तब तक बैठे रहेंगे जब तक उनकी मुलाकात भगवान श्री कृष्ण से नही हो जाती अंततः द्वारपालों ने जब देखा की श्री सुदामा जी का शरीर गर्म से तप रहा था कही एक ब्राह्मण भगवान श्री कृष्ण के महल के सामने प्राण न त्याग दे इस भय से द्वारपालों ने इसकी तत्काल सुचना भगवान श्री कृष्ण के भरी दरबार मे दी । यह सुनकर भगवान अपने महल से नंगे पांव दौड़ते हुऐ बाहर निकले तब तक सुदामा जी अपने घर जाने के लिऐ निकल चुके थे भगवान श्री कृष्ण सुदामा को लेकर अपने महल मे वापस आये तपश्चात श्री कृष्ण - रुकमणी आसुओं से श्री सुदामा जी के पैर धोऐं ।

धुमधाम से मनाई गई फूलों की होली :- कथा प्रसंग के अंत मे विभिन्न गीतों के साथ श्रोतागण सहित उपस्थित जनों जमकर फूलों की होली खेली इस दौरान लोग खुशी नाचते रहे । वही आज के कथा प्रसंग को सुनने श्रोताओं की इतनी भीड़ उमड पड़ी थी की पंडाल छोटे पड़ गये थे । इस दौरान क्षेत्र के जनपद सदस्य सुनील साहू , सरपंच सोनमती सिंह , जगनारायण सिंह , सोनू जायसवाल , शुशील साहू , रमाशंकर यादव , शिवकुमार पाण्डेय सहित हजारों की  संख्या मे कथा श्रोता माताऐं , बहनें व नन्हे मुन्ने बच्चे उपस्थित रहे ।

कथा आयोजन कर्ता ने किया सभी का अभिवादन :-  श्रीमद भागवत कथा को सुनने उमड़ी इतने बड़े जनसैलाब को देखते हुऐ कथा आयोजनकर्ता लक्ष्मी - निलू जायसवाल व उनके परिवार जनों ने  सभी उपस्थित श्रोताओं का अभिवादन किया ।

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