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राम से बड़ा राम का नाम - कथा प्रवक्ता पं. रविन्द्र दुबे...
कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क...
संवाददाता :- दीपक गुप्ता...✍️
सूरजपुर :- भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम बड़सरा में 03 दिसंबर से 11 दिसंबर तक 9 दिवसीय श्री राम कथा भब्य कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हो गई है । कलश यात्रा से पहले लोगों ने कथा व्यास के श्री चरणों मे फूल बिछाकर उनका स्वागत किया । वहीं श्री राम कथा के पहले दिन सैकडों की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।
श्री राम कथा के प्रथम दिन की शुरुआत दीप प्रज्जवलन, आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा के पहले दिन कथा व्यास पं. रविन्द्र दुबे ने बताया कि राम नाम अविनाशी है। दुनिया इधर से उधर हो जाए, सब कुछ बदल जाए पर यह राम नाम ज्यों का त्यों यूं ही सदा बना रहेगा। राम कथा के पहले दिन राम नाम के महिमा का वर्णन किया । उन्होंने कहा कि आज हम किसी को अभिवादन करते हैं तब राम का नाम लेते हैं विवाह पत्रिका , शिशु के अन्नप्राशन संस्कार मे भी भगवान राम के ही नाम का उल्लेख किया जाता है इतना ही नही किसी के मृत्यु उपरांत अंतिम यात्रा के वक्त भी राम का नाम लिया जाता है । इसलिए नाम नाम अविनाशी है । जो कभी भी नही मिटता है । उन्होंने भगवान शिव और माता सती के चरित्रों का वर्णन करते हुऐ श्रोताओं को बताया कि भगवान शिव 87 हजार वर्ष तक समाधि मे बैठे रहे समाधि समाप्त होने के बाद माता सती भगवान शिव का आसन लगाकर उन्हें बैठाया तथा उनकी पूजा की ।
सतसंग से हमे मिलती है शिक्षा :- कथा व्यास ने श्रोताओं को बताया कि हमारा संगत जैसे लोगों के साथ रहेगा हम वैसे ही सीखते जायेंगे साथी हमारे अच्छे रहेंगे तो हमे अच्छी सीख मिलेगी बुरे संगत का हमारे जीवन मे विपरीत प्रभाव पड़ता है । इसलिए हमे अच्छे सतसंग के साथ जुड़ अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार सीखने चाहिए । रामचरितमानस के रचियता तुलसीदास जी का वर्णन करते हुऐ कथा व्यास ने श्रोताओं को आगे बताया कि तुलसीदास जी ने भगवान शिव की मदद से ही इस रामायण को लिखा था, जबकि तुलसीदास जी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे और उन्होंने स्वप्न में भगवान शिव के आदेश से रामभक्त हनुमान की मदद से रामचरित मानस को लिखा था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस को लिखने के पहले उत्तर और दक्षिण भारत की सभी रामायणों का अध्ययन किया था । वहीं आज प्रथम दिवस को सैकड़ों की संख्या मे लोगों ने कथा का श्रवण किया ।
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