नियम विपरीत प्रस्ताव पर हाईकोर्ट ने दिये जांच के आदेश
*विकास कार्यो की स्वीकृति में हुआ गड़बड़ झाला*
घरघोड़ा-चर्चित नगर पंचायतों में सुमार घरघोड़ा नगर पंचायत में पुनः एक मामला सामने आया है जानकारी के अनुसार नप घरघोड़ा में अधोसरंचना मद से 3 करोड़ रुपये के विकास कार्यो के 5 जून को प्रस्ताव स्वीकृत किये गये थे जिसमें अनियमिताओं के साथ विधि सम्मत विरुद्ध प्रस्ताव को पास किया गया था नगर पालिका अधिनियम धारा 65 के अनुसार कोई भी प्रस्ताव की स्वीकृति हो चुकी है उसे 3 माह पश्चात ही नियमो के अनुसार निरस्त कर दूसरा प्रस्ताव लाये जाने का प्रवधान है परंतु तत्कालीन नगर पालिका अधिकारी ने नियमो को दरकिनार कर 5 जून को अधोसरंचना मद से 3 करोड़ रुपये के विकास कार्यो हेतु प्रस्ताव लाया गया जबकि यही प्रस्ताव 17 मार्च को समान्य सभा मे स्वीकृत हो चुका था उसके पश्चात भी उक्त प्रस्ताव को नियमो के विपरीत लाया गया जिस पर तत्कालीन अध्यक्ष वर्तमान पार्षद विजय शिशु सिन्हा ने आपत्ति दर्ज कराई परन्तु नगर पालिका अधिकारी ने नियम विपरीत उनके आपत्ति प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया व ऐसे कार्यो की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी जो कार्य पूर्व में स्वीकृत है व निजी स्वामित्व की जमीनों के साथ छोटे झाड़ के जंगल की जमीनों पर कार्यो की स्वीकृति प्रदान कर प्रस्ताव स्वीकृति हेतु संचालनय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को प्रेषित कर दी गयी।
*कांग्रेसी पार्षद के वार्ड के कार्य गायब*
*सबसे मजेदार बात यह है की अधोसंरचना मद में भेजे गये 3 करोड़ के विकास कार्यो में वार्ड 15 के कांग्रेसी पार्षद* *
*भगवती राजन श्रीवास के वार्ड के एक भी कार्यो का प्रस्ताव नही भेजा गया जबकि परिषद में* *उन्होंने अपने वार्ड के कार्यो को अंकित भी कराया था उनके साथ साथ कई* *कांग्रेसियों के वार्डो में कम काम भेजे गये वही भाजपा पार्षदों के वार्ड में लाखों रुपये के कार्य* *स्वीकृति हेतु प्रस्तावित करना भी लोगो को हजम नही हो रहा है जबकि वर्तमान में नप में कांग्रेस की* *सरकार काबिज है*
जिसके विरुद्ध पूर्व अध्यक्ष पार्षद विजय शिशु सिन्हा ने माननीय उच्च न्यायलय में अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की गयी याचिका में श्री सिन्हा के अनुसार नगर पंचायत में पारित प्रस्ताव में कई अनियमितताएं हैं, एवम केवल स्वयं के लाभ सिद्ध करने हेतु विचार में ले गए हैं, जिससे शासन को वित्तीय हानि होना संभावित है माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी । याचिकाकर्ता द्वारा मूल रूप नगर पंचायत अधिनियम के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों का हवाला देते हुए अनुचित रूप से आपत्ति अमान्य करने के कृत्य को उजागर किया जिसपर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विचार करते हुए संचालक नगरीय प्रशासन विभाग को निर्देशित करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अप्पत्तियो को विचार में लाते हुए निराकरण कर अग्रिम कार्यवाही करने हेतु आदेशित किया है ।
इसके पश्चात भी अगर विभाग पुनः विना आपत्तियों के निराकरण के स्वीकृति प्रदान करता है तो पुनः उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया जावेगा।
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