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कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क...
संवाददाता : - दीपक गुप्ता...✍️
सूरजपुर :- जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम बड़सरा चल रहे 9 दिवसीय श्री राम कथा के पाँचवें दिन कथा व्यास ने श्रोताओं को श्री राम , सीता वन गमन , केवट प्रसंग की कथा सुनाई कथा सुनकर श्रोतागण भाव बिहोर हो गए । कथा व्यास ने आगे बताया कि विवाह उपरांत जब भगवान राम जनकपुर से अयोध्या लौटे बाद इसके भरत जी के माता कैकेई ने राजा दशरथ से भरत जी के लिऐ राजतिलक तथा भगवान राम के लिऐ 14 वर्ष का वनवास मांग रखा था । जैसे ही श्री राम सीता जी को यह पता चला वे अपने पिता राजा दशरथ जी से आशिर्वाद लेकर वन जाने की तैयारी मे जुट गए पुरे अयोध्या के प्रजा मे यह बात फैल गई भगवान राम के बिना अयोध्या नगरी के प्रजा सहित पुरी अयोध्या सुनी पड़ गई भगवान राम के वियोग में पशु , पक्षी , नदी , नाले , तालाब सब स्थित पड़ गये ।
कथा व्यास ने श्रोताओं को आगे बताया की प्रभू श्री राम व माता सीता को वन मार्ग के निकट छोड़ने के लिऐ रथ तैयार की गई पुरी अयोध्या नगरी ने भगवान को नम आंखों से विदा किया । अयोध्या से रथ मे सवार होकर भगवान राम , माता सीता व लक्ष्मण जी गंगा नदी के निकट घाट पर पहुचें । रथ से नीचें उतरकर भगवान राम माता सीता व लक्ष्मण जी केवट के समीप पहुंचे और नाव में बैठकर गंगा पार कराने का भगवान राम ने केवट से आग्रह तब तब केवट ने भगवान राम से हठ किया कि आपके चरण धोने के बाद ही आपको गंगा पार कराऊंगा ।
गंगा पार कराने केवट को उतरवाई देने भगवान राम ने विचार किया माता सीता प्रभू राम के मन की बात समझ कर अपनी कर मुद्राएं उतारकर उन्हें दे दी भगवान ने केवट को देने का प्रयास किया किंतु केवट ने न लेते हुए भगवान के चरण पकड़ लिऐ । एसे मे भगवान के श्री चरणों की सेवा से केवट धन्य हो गया भगवान श्री राम ने केवट ने निस्वार्थ प्रेम को देखकर केवट को दिव्य भक्ति का वरदान दिया । तथा उसकी समस्त इच्छाऐं पुर्ण की ।
इस जग मे कैकेयी नाम किसी का नही :- कथा व्यास ने श्रोताओं से कहा कि भगवान राम को वनवास भेजने के कुटिल चाल के कारण पुरी दुनिया कैकेयी से रुष्ट हो गई आप सभी को ज्ञात है कि इसी कारण कैकेयी किसी का भी नाम नही पड़ा वहीं आज कथा के पंचम दिवस को काफी संख्या मे श्रोतागण पंडाल मे पहुंचे थे संध्या आरती के पश्चात उपस्थित जनों ने भोग प्रसाद ग्रहण किया ।
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