हाईप्रोफाइल ड्रग्स केस के बाद गैंगवार का साया

रायपुर - नब्या और अयान की गिरफ्तारी के बाद नेताओं और अधिकारियों के पुत्रों की बढ़ी मुश्किलें रसूखदार अब अपने बेटे-बेटियों को बचाने कर रहे अपने सोर्स का उपयोग रायपुर। नब्या औऱ अयान अब घोषित ड्रग पाडलर हो चुके है। उनके संपर्कों में बड़े राजनेताओं और अधिकारियों के पुत्रों के काले कारनामे उजागर होने के बाद फरारी काट रहे है। वहीं नेता और अधिकारी ड्रग केस को रफा-दफा करने में एड़ी चोटी की जोर लगा रहे है।
पुलिस के बड़े अधिकारियों ने सीधे नब्या और अयान और मधु से पूछताच की है उसमें जो क्लू निकल कर आया है वो चौंकाने वाला है। जिसमें बड़े -बड़े रसूखदार के बेटे -बेटियो्ं की मुश्किलों बढ़ा दी है। राजधानी रायपुर में हाईप्रोफाइल ड्रग्स नेक्सस के खुलासे के बाद अब हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। गिरफ्तार महिला आरोपियों नाव्या मलिक और विधि अग्रवाल के समर्थकों के बीच गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात वीआईपी रोड पर टकराव की नौबत आ गई। दोनों गुट आमने-सामने आए, जिससे वहां तनाव का माहौल बन गया। हालांकि मौके पर पहुंचे शहर के दो रसूखदार बिल्डरों ने बीच-बचाव कर विवाद को शांत कराया, जिसके बाद मामला किसी तरह टल गया।
सूत्रों का कहना है कि यह विवाद पुलिस पूछताछ के दौरान नाव्या द्वारा विधि का नाम लेने की वजह से हुआ। इसी बात से नाराज होकर दोनों गुट आमने-सामने आ गए। बताया जा रहा है कि इन गुटों में महिला ड्रग पैडलरों से नशा खरीदने वाले युवक शामिल थे। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस में किसी भी पक्ष से औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है। मगर यह घटना इस बात का संकेत है कि राजधानी में ड्रग्स कारोबार और हाईप्रोफाइल युवाओं की संलिप्तता अब केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसका असर सड़क पर टकराव और संभावित गैंगवार तक पहुंच गया है। इस बीच, नाव्या मलिक और विधि अग्रवाल की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उन्हें शुक्रवार को विशेष कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सुनवाई के बाद दोनों आरोपियों को 15 सितंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया।
पुलिस की गश्त के दौरान दबोचे गए इसी दिन अन्य आरोपी अयान परवेज, ऋषिराज टंडन, सोहेल खान और जुनैद अख्तर को भी कोर्ट में पेश किया जाएगा। इन सभी आरोपियों को अब 15 सितंबर तक जेल में रहना होगा। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि नाव्या और विधि हर माह मुंबई और गोवा का दौरा करती थीं। वहां वे संभ्रांत घरानों के युवक-युवतियों के साथ ड्रग्स पार्टियों में शामिल होती थीं, जो पूरी रात चलती थीं। इन दोनों ने रायपुर और नवा रायपुर सहित मंदिर हसौद, वीआईपी रोड और चंद्रखुरी के होटल, रिसॉर्ट, क्लब और फार्महाउस का नाम लिया है, जहां इस तरह की पार्टियां आयोजित की जाती थीं। पुलिस की जांच में सामने आया कि विधि अग्रवाल की इवेंट कंपनी ‘बिहाइंड द सीन्स’ का इस्तेमाल भी इन गतिविधियों को छिपाने और कवर करने के लिए किया जाता था। यह कंपनी रायपुर के बड़े होटल और क्लबों में न्यू ईयर पार्टी से लेकर कई बड़े आयोजनों का संचालन करती रही है।
नाइट पार्टियों की शुरुआत करीब 25 से 30 लोगों के साथ होती थी। लेकिन रात 1 बजे के बाद केवल 10 से 15 लोग ही फार्महाउस या क्लब में रुकते थे। इसी दौरान ड्रग्स का सेवन और अश्लील गतिविधियां होती थीं। पूछताछ में सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क का संपर्क केवल युवाओं तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें बड़े उद्योगपति, कारोबारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, यहां तक कि कुछ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का नाम भी जुड़ा हुआ है। आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्होंने कई बार इन प्रभावशाली लोगों के साथ पार्टियां की हैं।
पुलिस ने जब आरोपियों के मोबाइल खंगाले तो कई चौंकाने वाले चैट्स मिले। इन चैट्स से यह स्पष्ट हो गया कि ड्रग्स का सेवन करने वालों की एक लंबी सूची है, जिसमें हाईप्रोफाइल घरानों के बेटे-बेटियां शामिल हैं। पुलिस अब इस सूची को तैयार कर रही है। इन लोगों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया जाएगा और उनके माता-पिता को भी सूचित किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि कई अभिभावकों को अपने बच्चों की इन गतिविधियों की जानकारी तक नहीं है।
इस हाईप्रोफाइल ड्रग्स केस में पुलिस अब उन होटल, क्लब और फार्महाउस मालिकों को भी पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी कर रही है, जहां इन पार्टियों का आयोजन होता था। माना जा रहा है कि इन आयोजनों में शामिल प्रबंधन से पुलिस को नेटवर्क के बारे में और गहरी जानकारी मिलेगी। वहीं इस मामले में राजनीति और प्रशासनिक रसूख रखने वाले लोगों के नाम सामने आने से पुलिस भी बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है।
राजधानी रायपुर में इस समय ड्रग्स नेक्सस से जुड़े मामले केवल पुलिस फाइलों तक सीमित नहीं रह गए हैं। अब इसका असर सामाजिक और सार्वजनिक स्तर पर भी दिखाई देने लगा है। वीआईपी रोड पर दो गुटों का आमने-सामने आना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आने वाले दिनों में अगर स्थिति पर सख्ती से नियंत्रण नहीं किया गया तो यह मामला किसी बड़े गैंगवार का रूप भी ले सकता है। फिलहाल पुलिस इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रही है।
लेकिन सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों में पूछताछ और मोबाइल डेटा से कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं, जिनसे राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की सियासत और कारोबार की दुनिया में हलचल मच सकती है। इवेंट की दुनिया के बड़े बड़े मगरमच्छों से भी पूछताछ होनी चाहिए? विधि तो बस एक प्यादा है जिसे पीटकर पुलिस ये बाजी नहीं जीत सकती। राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में इवेंट ऑर्गनाइजर्स की बाढ़ आ गई। इवेंट पहले भी होते थे लेकिन उनका दायरा छोटा होता था।उसके बाद तो रेव पार्टियों की बाढ़ आ गई थी।
एक बड़े और उस समय के चर्चित होटल में रेव पार्टी पर पुलिस ने रेड मारी थी, दर्जनों लड़कियों को पकड़ा भी था, मगर तब भी इवेंट ऑर्गनाइजर पर हाथ नहीं डाला गया था। बड़े तो बड़े छोटे छोटे चिरकुट टाइप के इवेंट ऑर्गनाइजर भी पार्टी में ’कंप्लीट अरेंजमेंट’का दावा करते है। कंपलीट का मायने आयोजक, प्रशासन और पुलिस अच्छी तरीके से जानते हैं शहर के बाहरी हिस्सों में बने कुछ फॉर्म हाउस हमेशा गुलज़ार रहते है। सुनसान पड़े रहने वाले फॉर्म हाउस की रौनक बताती ही कि वहां रंगीनियां छाई है। वो फॉर्म हाउस वालो के लिए बिना टैक्स की आमदनी तो है ही, शहर के नरपशुओं के लिए सुरक्षित ऐशगाह भी बनी हुई है। चाहे धरमपुरा के आसपास का इलाका हो भाठागांव, अमलेश्वर हो मोवा मंदिर हसौद नया रायपुर के आसपास के इलाकों के फॉर्म हाउस।
पुलिस को चाहिए उन फॉर्म हाउस में हुई पार्टियों का रिकॉर्ड खंगाले तो और बड़ी बड़ी मछलियां भी हाथ लगेंगी। इस मामले का सबसे दुर्भाग्यजनक पहलू ये है कि ड्रग्स की चपेट में हमारे बच्चे फंस कर बर्बाद हो रहे है। ये वो दलदल है जहां जितना आगे बढ़ो धंसता ही चला जाता है और उससे वापसी का कोई रास्ता भी नहीं होता। हमारे बच्चों के साथ बच्चियां भी अब इसका शिकार हो रही है। उन्हें फ्री एंट्री के नाम पर चारे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है और उनके जाल में हॉस्टल में रहने बहन बेटियां भी फसती जा रही है,जो बाद में इवेंट के नाम पर नरपशुओं को पड़ोसी जाती है।
बेहद शर्मनाक है ये शासन प्रशासन और समाज के लिए भी इस तरह की कुसंस्कृति का हमारे शहर में न केवल फलना फूलना बल्कि उसका फैलते ही चले जाना।खुदा न करे कभी किसी बड़े घर की बच्ची इस जाल में फंसे तब उनको पता चलेगा उनके बच्चों की अय्याशी का दर्द कितना गहरा होता है। राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा दमदार है और कुछ कर गुजरने के लिए हमेशा तैयार भी रहते है, उनको चाहिए कि इवेंट के नाम पर नशे और जिस्म का कारोबार करने वाले नरपशुओं को धर दबोचने के लिए पुलिस को कड़े निर्देश दे।ताकि लोगों के मन में पुलिस की छवि सुधरे और लोग ये धारणा बनाना छोड़ दे कि सिर्फ छोटी मछलियां पर ही करवाई होती है।
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