पैदा हुआ 'जलपरी' जैसा बच्चा, नाक और हार्ट विकसित, नीचे का हिस्सा देख डॉक्टर भी हैरान

डॉ. रागिनी सिंह ठाकुर ने बताया कि एक अक्टूबर को एक महिला डिलवरी के लिए जिला अस्पताल पहुंची। पेट में थोड़ा भी पानी नहीं था। ऐसी स्थिति में तत्काल सीजर से डिलीवरी करानी पड़ी। शिशु के ऊपर का हिस्सा क्लीयर था। आंख, नाक, हार्ट विकसित थे, लेकिन रीढ़ की हड्डी से नीचे का हिस्सा फ्यूज था। बच्चे के नीचे का हिस्सा जलपरी की तरह था।
धमतरी में जलपरी जैसा बच्चे ने लिया जन्म, तीन घंटे में मौत
डॉक्टरी भाषा में कहा जाता है मरमेड सिंड्रोम (सिरेनोमेलिया)
बच्चे का जब जन्म हुआ तो डॉक्टर-नर्स देखकर हैरान रह गए
धमतरी। जिला अस्पताल धमतरी में एक 28 साल की महिला ने जलपरी जैसा एक अद्भुत बच्चे को जन्म दिया, लेकिन कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि उनके दोनों पैर जलपरी की तरह आपस में जुड़े थे। बच्चे का जब जन्म हुआ तो डॉक्टर-नर्स हैरान रह गए। जन्म के तीन घंटे बाद उनकी मौत हो गई।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि यह दुर्लभ बच्चा जिंदगी और मौत से संघर्ष करता रहा। इस बच्चा को डॉक्टरी भाषा में मरमेड सिंड्रोम (सिरेनोमेलिया) कहा जाता है। ऐसे बच्चों का जन्म के बाद भी जेंडर पता नहीं चल पाता है।
बच्चे के नीचे का हिस्सा जलपरी की तरह था.....
प्रसूता का डिलीवरी कराने वाली गायनी विशेषज्ञ डॉ. रागिनी सिंह ठाकुर ने बताया कि एक अक्टूबर को एक महिला डिलवरी के लिए जिला अस्पताल पहुंची। पेट में थोड़ा भी पानी नहीं था। ऐसी स्थिति में तत्काल सीजर से डिलीवरी करानी पड़ी। शिशु के ऊपर का हिस्सा क्लीयर था। आंख, नाक, हार्ट विकसित थे, लेकिन रीढ़ की हड्डी से नीचे का हिस्सा फ्यूज था। बच्चे के नीचे का हिस्सा जलपरी की तरह था।
तीन घंटे के बाद बच्चे की हुई मौत.....
बुधवार को 12.30 बजे बच्चे का जन्म हुआ और तीन घंटे के बाद उसकी मौत हो गई। उनका वजन सिर्फ 800 ग्राम था। डिलवरी के बाद लाइफ सपोर्ट में रखे थे। ज्यादातर ऐसे बच्चों का जीवन अधिक समय का नहीं होता। डाक्टर इसे छत्तीसगढ़ का पहला और भारत का दूसरा केस बता रहे हैं। लडक़ों में यह स्थिति लड़कियों की तुलना में तीन गुना ज्यादा देखी जाती है। इस तरह के केस में अधिकांश शिशु मृत होते है। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश की एक महिला ने देश के पहले जलपरी शिशु को जन्म दिया था, लेकिन यह शिशु सिर्फ 10 मिनट तक ही जीवित था।
नौ साल के करियर में दूसरा केस देखा....
प्रसूता की डिलवरी कराने वाली डॉ. रागिनी सिंह ठाकुर ने बताया कि उनके नौ साल के अपने करियर में मरमेड सिंड्रोम का यह दूसरा मामला सामने आया है। ट्रेनिंग के दौरान उत्तर प्रदेश में पहला मामला उन्होंने देखा था। इस शिशु के जन्म में जब पहले पैर बाहर आया तो शक हो गया था कि ये हो न हो मरमेड सिंड्रोम का ही केस है।
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