राजनीतिक सरपरस्ती में खरसिया से सामने आया NOC में फर्जीवाड़ा: नगर पालिका क्षेत्र की भूमि में, डायवर्सन ग्राम पंचायत के हिसाब से

स्लैग क्रशर के लिए पहले ग्रामसभा की एनओसी, जांच में फंसे तो नपा से भी ले आए एनओसी
कहते है राजनीति में अगर आपके परिवार का कोई भी व्यक्ति है और सत्ता में है तो फिर उसके लिए सबकुछ जायज है चाहे वह किसी अवैध काम हो या फिर किसी काम के लिए फर्जीवाड़ा हो सब कुछ बिना किसी लागलपेट के हो जाता है ऐसा ही एक मामला खरसिया से देखने को मिल रहा है।
रायगढ़। खरसिया में एक बेहद रोचक मामला सामने आया है जिसने राजस्व विभाग के साथ नगर पालिका की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। एक जमीन के लिए कारोबारी ने डायवर्सन आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें ग्राम पंचायत क्षेत्र का जिक्र हुआ। अपर कलेक्टर ने डायवर्सन भी कर दिया। यहां स्लैग क्रशर भी लग चुका है। अब पता चला कि जमीन तो नगर पालिका के अंतर्गत आती है। यह भी जानकारी सामने आई कि एसडीएम ने पूर्व में डायवर्सन आवेदन खारिज किया था। यह मामला खरसिया के तेलीकोट और गौशाला रोड हमालपारा का है। यहां श्याम ट्रेडिंग कंपनी के नाम से स्लैग क्रशर स्थापित है। कई प्लांटों से स्लैग लाकर क्रशिंग की जाती है। प्रदूषण की शिकायत आने के बाद पर्यावरण विभाग ने यूनिट को सील किया है। पर्यावरण विभाग से हुई शिकायत में इसके लोकेशन को लेकर भी आरोप लगे थे।
ग्राम तेलीकोट की खसरा नंबर 820/1 रकबा 0.093 हे. पर प्लांट लगाने की जानकारी दी गई है। जांच में पता चला कि संचालक ने पर्यावरण विभाग में ग्राम पंचायत तेलीकोट के ग्रामसभा का कार्यवाही विवरण प्रस्तुत किया था जिसमें सरपंच व सचिव ने एनओसी दी है। 23 जनवरी 2024 का यह प्रस्ताव था। जमीन के बारे में पर्यावरण विभाग ने एसडीएम खरसिया को इस भूमि की रिपोर्ट मांगी थी। सीएमओ नगर पालिका से मिली जानकारी में बताया गया कि उक्त भूमि और क्रशर प्लांट नपा खरसिया के वार्ड क्रमांक 2 में गौशाला से कंकूबाई धर्मशाला होते हुए रामेश्वर सारथी के घर तक वाले रोड पर स्थित है। मजे की बात यह है कि संचालक ने 11 नवंबर 2024 को नगर पालिका सीएमओ से भी एनओसी जारी करवा ली। मतलब एक ही जमीन ग्राम पंचायत और नगर पालिका दोनों क्षेत्र में पाई गई।
डायवर्सन में हुआ खेल.....
इससे पहले की कहानी और भी मजेदार है। नगर पालिका क्षेत्र में घनी आबादी के कारण क्रशिंग यूनिट की अनुमति आसानी से नहीं मिलती। विद्युत कनेक्शन के लिए नियम सख्त हैं। संचालक ने तेलीकोट ग्रापं की एनओसी लेने के बाद डायवर्सन के लिए एसडीएम खरसिया के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया। वहां से 14 अक्टूबर 2024 को आवेदन खारिज हुआ तो अतिरिक्त कलेक्टर के समक्ष अपील की। अतिरिक्त कलेक्टर ने 6 नवंबर 2024 को डायवर्सन करने का आदेश पारित किया। आदेश में ग्राम तेलीकोट की भूमि खनं 820/1 रकबा 0.124 हे. में से 0.093 हे. (942 वर्गमीटर) का औद्योगिक प्रयोजन के लिए व्यपवर्तन किया गया। शर्तों के मुताबिक इस भूमि का एकमुश्त प्रीमियम प्रति वर्ग मीटर 20 रुपए की दर से 1,88,40 रुपए, बिना अनुमति व्यपवर्तन के लिए दस हजार रुपए जुर्माना, भूराजस्व 5610 रुपए प्रतिवर्ष, पंचायत उपकर 2805 रुपए वार्षिक, अधोसंरचना विकास उपकर 632 रुपए और पर्यावरण उपकर 632 रुपए निर्धारित किया था। अब सवाल यह है कि नपा क्षेत्र की भूमि के हिसाब से डायवर्सन होता तो कितना लगता?
आदिवासी की जमीन होने के कारण हुआ खारिज.....
यह प्रकरण राजस्व विभाग की तेजी का साक्षात उदाहरण है। 14 अक्टूबर को एसडीएम न्यायालय में केस खारिज हुआ, 6 नवंबर तक अपर कलेक्टर की कोर्ट में सुनवाई करके आदेश भी हो गया। एसडीएम ने जांच में पाया था कि 1954-55 के अधिकार अभिलेख में खनं 820 आदिवासी गोंड व्यक्ति के नाम पर दर्ज होना पाया गया। तब स्लैग क्रशर संचालक के पूर्वजों ने अपनी भूमि खनं 815 रकबा 0.441 हे. से इसका तबादला किया था। 1983 से उन्हीं का नाम भूमि के रिकॉर्ड में दर्ज है। इस मामले में 170ख का भी प्रकरण चला जो बाद में खारिज किया गया। कलेक्टर और राजस्व मंडल से आदेश के बाद भूमि के तमाम विवाद खत्म हुए थे। इसी आधार पर एसडीएम ने आवेदन खारिज किया था।
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