ग्रामीणों के उम्मीदों की कब्र पर अडानी की जनसुनवाई
हमने यह बहुत बार सुना है कि जब कोई उद्योग लगता है तो हमेशा वहा के स्थानीय लोग परेशान रहते है, चाहे वह रोजगार की बात हो या प्रदूषण की, उद्योग लगने के बाद परेशानी वहा के स्थानीय लोगो का पीछा नही छोड़ती है, वास्तविकता तो यह है कि उद्योग से प्रताड़ित होकर वहा रहने वाले स्थानीय लोग जरूर अपने पुशतैनी जमीन को छोड़ बेघर हो जाते है। यह कारनामा अब हमें रायगढ़ में जरूर देखने को मिल रहा है।
Adani Power Limited: रायगढ़ में उद्योगों की कोई कमी नहीं है! नए उद्योग भी खुल रहे हैं और पुराने उद्योग अपना विस्तार भी कर रहे हैं मगर इसी के साथ प्रदूषण और बेरोजगारी में भी विकराल रूप से विस्तार हो रहा है। यहां सिर्फ उद्योगों का विकास होता है मगर रायगढ़ जिले के रहने वाले स्थानियो का नहीं! जल, जंगल, जमीन का विनाश, बीमारियां, प्रदूषण, बेरोजगारी, विकास के नाम पर यही मिला है। प्रायः शांत रहकर सब कुछ सहने वाले अब इसके विरोध में खड़े हो रहे हैं। ताजा मामला अदानी पावर लिमिटेड का है।
सुलगती विरोध की चिंगारी
रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के लोगों ने इन दिनों अडानी पावर लिमिटेड के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, अडानी कंपनी अपने विस्तार की कवायद में है और आगामी 12 जून को बकायदा इसकी जनसुनवाई भी है। ऐसे में औद्योगिक प्रदूषण, बीमारी और बेरोजगारी की मार से कराह रहे ग्रामीणों के मन में विरोध की चिंगारी सुलगने पर वे लगातार बैठक करते हुए मुखालफत पर उतर आए हैं।
चार गांव उजाड़ कर होगा विस्तार
पुसौर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बड़े भंडार, छोटे भंडार, अमलीभौना और सरवानी जैसे 4 गांवों के बीच स्थित अडानी पावर लिमिटेड अपने फैक्ट्री का विस्तार करना चाह रहा है। इसकी सरकारी प्रक्रिया भी शुरू हो गई और अगले महीने यानी 12 जुलाई को नजदीकी ग्राम सूपा में विधिवत जनसुनवाई भी मुकर्रर है। यही कारण है कि अडानी के भविष्य में विकराल रूप लेने के पहले जागरूक ग्रामीणों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए लड़ाई का श्रीगणेश भी कर दिया है।
पहले कोरबा वेस्ट अब अदानी पावर
रायगढ़-सारंगढ़ नेशनल हाईवे में चन्द्रपुर के पहले ग्राम बड़े भण्डार मेन रोड किनारे स्थित यह फैक्ट्री पहले कोरबा वेस्ट के नाम से जानी जाती थी। लेकिन, अब यह अडानी पावर लिमिटेड है और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कंपनी अपने विस्तार की कवायद में है। जबकि, आसपास के ग्रामीण इसकी पुरजोर खिलाफत करते हुए अपना कमर तक कस चुके हैं।
पहले के वादे अधूरे अब नई कसमे
ग्रामीणों का आरोप है कि कोरबा वेस्ट उनके गांव की हरियाली को पहले ही खा चुकी है। और अब रहा सहा कसर अडानी पावर निकाल रहा है। कंपनी स्थापना के दौरान भूमि अधिग्रहण में स्थानीय लोगों की पुश्तैनी जमीन तो काफी पहले ही जा चुकी है, मगर शर्त के अनुसार उनके परिवार के सदस्यों को न तो स्थायी नौकरी मिली और न ही गोद गांव में सीएसआर मद से विकास की वो गंगा बही, जो नियमानुसार होनी चाहिए। यही नहीं, कंपनी प्रबंधन गांव की कच्ची सडक़ को भी बना नहीं सकी। नतीजतन, बारिश होते ही रोड में पानी और कीचड़ भरा रहता है।
ऐसे में विरोध की मशाल थामे ग्रामीण अब अडानी पावर की जनसुनवाई में जमकर खिलाफत के लिए बैठकें भी कर रहे हैं ताकि अपने गांव के स्वरूप को औद्योगिक प्रदूषण की कालिख से बचा सके।
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