धौराभांठा जनसुनवाई एक सुअवसर या छलावा : डॉ.गुलशन खम्हारी....

Sep 16, 2025 - 21:28
 0  49
धौराभांठा जनसुनवाई एक सुअवसर या छलावा : डॉ.गुलशन खम्हारी....

रायगढ़ - छत्तीसगढ़ ओडिशा के संगम रेखा में हॅंसती मुस्कुराती वादियों के बीच जो परिवेश कभी प्राकृतिक प्रांगण में खुशनुमा दिखाई देता था जिसे कालांतर में खनिज के ठेकेदारों ने इसे गारे पेलमा सेक्टर १ का नाम दिया है,वही क्षेत्र जो घने जंगलों,सुरम्य वादियों का केंद्र था अब सुलगती राख का ढेर धूल और धुएं का कोहरा दिखाई देता है । एक ओर रेलवे लाईन का बिछाव हो रहा जो यातायात के नाम पर सिर्फ कोयला आवागमन का साधन मात्र रह गया है तो दूसरी ओर जिन्दल और अन्य कंपनियों ने जनता को नये लुभावने वादे कर वादों का झुनझुना देना शुरू कर दिया है । इसके बावजूद कि जांजगीर, मेंडरा, जामकानी, मिलुपारा, टपरंगा जैसे अनेक गांव अब अस्तित्व खो चुके इसको जानते हुए भी जनता में निरंकुशता दिखाई दे रहा विदित हो कि एकजुटता में व सामंजस्य में कमी का फायदा कोई और उठाता है इसलिए अपनी जन्मभूमि के रक्षा के लिए सभी को एकजुट होकर आवाज उठाने और अपनी सामूहिक मांग रखने की आवश्यकता है ।

              इसी परिप्रेक्ष्य में लोक सुनवाई का आयोजन भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना क्रमांक- J-11013/49/2005-IA.II.(I) दिनांक 14 सितम्बर 2006 (यथा संशोधित) के अनुसार लोक सुनवाई दिनांक 14/10/2025, दिन- मंगलवार को प्रातः 11:00 बजे,स्थान – साप्ताहिक बाजार का मैदान (शासकीय प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय के पास), ग्राम- धौराभांठा, तहसील-तमनार, जिला- रायगढ़ (छ.ग.) नियत की गई है।

        जब भी कंपनियों द्वारा भूमि का अंधाधुंध दोहन किया जाता है तो अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिनमें खनन से हवा में धूलकण फैलते हैं, जिससे साँस की बीमारियाँ बढ़ती हैं। भूजल स्तर गिर जाता है, कुएँ और तालाब सूखने लगते हैं, खनन से निकलने वाला अपशिष्ट मिट्टी की उर्वरता घटाता है। मशीनों और विस्फोट से लगातार शोर होने से लोगों का जीवन प्रभावित होता है। लगातार धूल और गंदे पानी से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है । कंपनी खनन के लिए किसानों की ज़मीन ले लेती है, जिससे किसानों का आजीविका स्रोत खत्म हो जाता है। विस्थापित परिवारों को समय पर उचित मुआवज़ा और बसाहट नहीं मिलती। गाँव के लोगों को खनन कार्य में पर्याप्त रोजगार नहीं मिलता, बाहर से मजदूर बुलाए जाते हैं । गुटों में विभाजन से गाँव की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता प्रभावित होती है। खेती और पशुपालन पर असर पड़ता है क्योंकि उपजाऊ ज़मीन बंजर हो जाती है। छोटे किसान और मज़दूर बेरोज़गार हो जाते हैं । स्थानीय बाज़ार भी प्रभावित होते हैं क्योंकि लोग पलायन करने लगते हैं।

         "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" को सदा स्मरण करती जनता देखते हैं किन किन मुद्दों से एकजुट होकर अपने जन्मभूमि के लिए खड़े होती है ।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow