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विडंबना - अधिग्रहित की गई भूमि पर किसान कर तो रहे हैं खेती पर उनके न पास पट्टा है और मंडी मे धान बेचने का अधिकार....
कैपिटल छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क....
संवाददाता :- दीपक गुप्ता....✍️
सूरजपुर :- जिले के भैयाथान से लगे गांव मसिरा और लोधिमा में जमीन अधिग्रहण के 20 साल बाद भी पावर प्लांट नहीं लगने से 400 किसान पिछले दो सालों से अपने जमीन के पट्टे की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें जमीन से संबंधित योजनाओं का लाभ मिल सकें। जिस प्रकार प्रदेश के बस्तर लोहांडीगुडा व बैलाडीला में स्टील प्लांट बनाने के लिए आदिवासियों का जमीन अधिग्रहित किया गया था, लेकिन प्लांट नहीं लगने के बाद पांच साल पहले कांग्रेस की सरकार ने किसानों को उनका जमीन वापस कर पट्टा भी दिया, उसकी के तर्ज पर मसिरा और लोधिमा के किसानों का पट्टा नहीं होने से हर साल लाखों का नुकसान घर सहित पूरा जमीन अधिग्रहित, दो सालों से कर रहे संघर्ष :- जमीन का पट्टा दिलाने के लिए कांग्रेस की सरकार में दो बार आंदोलन भी हो चुके हैं, पट्टा दिलाने का आश्वासन भी मिला था, लेकिन सरकार बदलने के बाद मामला ठंठे बस्ते में चला गया। दरअसल, 20 साल पहले दो गांव के किसानों का करीब 300 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था, लेकिन उस पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के बाद पांच सालों तक वहां खेती नहीं की गई, बाद में कोई काम शुरु नही हुआ तो फिर से खेती का काम तो शुरु कर दिया गया, लेकिन 300 हेक्टेयर में उगे फसल को किसान मंडियों में बेच नहीं पा रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लोधिमा के हरी प्रसाद यादव ने बताया कि उनका घर सहित पूरी जमीन 14.75 एकड़ पावर प्लांट में अधिग्रहित हो गई, जिससे भूमि उनके नाम नहीं रही। इससे शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और मंडियों में धान भी नहीं बेच पाते। दो सालों से सरकारी दफ्तरों के साथ नेता-मंत्रियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। पावर प्लांट नहीं खुला तो रोजगार भी नहीं मिला। मुआवजा सिर्फ नाम मात्र दुकानों में सस्ते दामों पर बेचना मजबूरी है इधर अधूरा मुआवजा मिलने तथा प्लांट नहीं खुला तो अधिकारी भी नहीं आए सदन में मुद्दा उठाने का मंत्री ने दिया है आश्वासन :- कुछ दिन पहले ही पट्टा दिलाने की मांग को लेकर प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के पास दोनों गांव के किसान बड़ी संख्या में पहुंचे और बीजेपी सरकार से पट्टा दिलाने की मांग की। इस दौरान मत्री राजवाड़े ने मामले को सदन में उठाने के साथ सरकार के सामने प्रस्ताव रखने का आश्वासन दिया वही भूमि पट्टा की मांग को लेकर किसानों ने दो बार कलेक्टर कार्यालय का घेराव भी किया था
धान की फसल में 62 हजार प्रति हेक्टेयर का नुकसान :- वहीं दोनों गांव के कई किसान तो ऐसे हैं, जिनका पूरा खेत प्लांट बनाने अधिग्रहित कर लिया गया और किसानों को मुआवजा भी मिला। अब वे प्लांट नहीं लगने के बाद उसी भूमि पर खेती भी कर रहे हैं, लेकिन उस भूमि से उपजे फसलों को मंडियों में नहीं बेच पा रहे हैं। इससे उन्हें प्रति हेक्टेयर धान की फसल में 62 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही इन खेतों में गेहूं और मक्के की फसलें भी होती हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश बस्तर लोहांडीगुडा और बैलाडीला में जिस प्रकार से ग्रामीणों को उनकी जमीन वापस दी गई, उसी तर्ज पर यहां के 400 ग्रामीणों ने दो बार पट्ट्टा दिलाने की मांग को लेकर जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट का भी घेराव किया था। तब तत्कालीन कलेक्टर ने आवेदन सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब दो साल बीतने के बाद भी किसी प्रकार की जमीन वापसी के लिए कोई पहल नहीं की गई है। चिंतामणि गवटिया मसिरा के रहने वाले हैं। इनकी 40 एकड़ भूमि पावर प्लांट के एरिया में चली गई। उस समय मुआवजा दिया गया, लेकिन सिर्फ नाम मात्र के लिए। उनके नाम से अब जमीन नहीं है। धान की पैदावार उसी खेत में करते हैं, लेकिन सस्ते दामों पर दुकानों में बेचना पड़ता है, जिससे कभी-कभी नुकसान भी होता है। खेती के अलावा कोई काम भी नहीं है, जिससे परेशानी और भी बढ़ गई है। चिंतामणि ने बताया कि मुआवजा मिलता तो बिक्री मंडी में कर पाते। पूरन यादव की 18 एकड़ जमीन पावर प्लांट में अधिग्रहित हुई, तब अधूरा मुआवजा भी मिला और प्लांट भी नहीं खुला। आधा बचा हुआ मुआवजा कहां मांगने जाएं, उन्हें समझ ही नहीं। प्लांट नहीं खुला तो अधिकारी भी नहीं आए। पुरन ने बताया कि हर साल उन्हें पट्टा नहीं होने के कारण चार से पांच लाख रुपए का नुकसान होता है। वही इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने पत्रकारों से कहा कि गांव के लोगों को लेकर रायपुर जाऊंगी, मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे, ताकि ग्रामीणों को उचित न्याय मिल सके उन्होंने आगे बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान ही पावर प्लांट की जमीन अधिग्रहण का मामला सामने आया था। मुझे पूरा ध्यान है। गांव के कुछ लोगों को रायपुर लेकर जाऊंगी। इस संबंध में संबंधित विभाग और मुख्यमंत्री से भी बात करूंगी। बस्तर में जमीन वापस हुई है तो यहां भी जमीन का पट्टा वापस कराने का प्रयास करेंगे।
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